लखनऊ:लखनऊ लोकसभा की नौ विधानसभाओं में पकड़ बनाए रखना ही वर्तमान में भाजपा की बड़ी चुनौती है. हालांकि, यहां की 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में सफलता मिली थी तो वहीं, मोहनलालगंज सीट पर भाजपा ने पिछली बार प्रत्याशी ही नहीं उतारा था और यहां से पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवार आर के चौधरी को समर्थन दिया था. लेकिन अबकी इस सीट से पार्टी पूर्व आईएस राम बहादुर को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतार रही है, जो पिछली बार बसपा से दूसरे स्थान पर रहे थे. इसलिए इस बार भाजपा के सामने लखनऊ की सभी 9 सीटों को जीतने की चुनौती है.
भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में लखनऊ की 9 में से आठ सीटों पर जीत हासिल की थी. एक सीट पर जो हार मिली थी, वो मोहनलालगंज की थी, जहां पार्टी के चुनाव निशान पर प्रत्याशी नहीं उतारा गया था. वहीं, यहां पार्टी निर्दलीय आरके चौधरी को समर्थन दिया था. मगर इस सीट पर सपा के अंबरीश पुष्कर ने जीत हासिल की थी. लेकिन इस सीट को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी सीटों पर पार्टी को कामयाबी मिली थी. भाजपा प्रवक्ता संजीव मिश्र ने बताया कि अबकी हम पूरी तैयारी के साथ लखनऊ की सभी सीटों पर जीत दर्ज करने को उतरने जा रहे हैं. आगे उन्होंने कहा कि पन्ना प्रमुख से लेकर बूथ कमेटियों तक और हमारे पार्षदों व विधायकों की मेहनत का नतीजा है कि लखनऊ में बेहतरीन माहौल है और अबकी हम सभी सीटों पर जीत सुनिश्चित करेंगे.
यह है लखनऊ का सियासी समीकरण
लखनऊ पश्चिम: इस सीट पर भाजपा के सुरेश श्रीवास्तव ने सपा के मोहम्मद रेहान नईम को हराया था. मगर पिछले वर्ष अप्रैल में सुरेश श्रीवास्तव का कोरोना से निधन हो गया था. इस वजह से यहां भाजपा को प्रत्याशी बदलना पड़ेगा. अनेक भाजपा नेता यहां से टिकट की जुगत में लगे थे.
लखनऊ कैंट:लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक सुरेश तिवारी है. यहां भी भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता टिकट की दावेदारी में लगे हुए हैं. जबकि एक अपर्णा यादव और रीता बहुगुणा जोशी के पुत्र मयंक जोशी का नाम भी इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के दावेदार के रूप में सामने आ रहा है.
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लखनऊ मध्य: लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक भारतीय जनता पार्टी से विधायक हैं. यहां इसलिए इस सीट पर भी टिकट बदले जाने की उम्मीद की जा रही है कई बड़े नाम इस सीट पर दावेदार संभव हैं. मगर माना जा रहा है कि बृजेश पाठक की भाजपा की ओर से सबसे मजबूत दावेदार हैं.
लखनऊ उत्तर: लखनऊ उत्तर सीट से भाजपा के डॉ नीरज बोरा विधायक हैं. जिन्होंने सपा के तत्कालीन मंत्री प्रो अभिषेक मिश्र को हराकर सीट जीती थी. डॉ नीरज बोरा 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे. इस सीट पर फिलहाल टिकट काटे जाने का कोई कारण नहीं नजर आ रहा है. मगर दावेदार कई हैं.
लखनऊ पूर्व:यहां से नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन दो बार के विधायक हैं. इनका भी टिकट फिलहाल सुरक्षित ही माना जा रहा है. वैसे भाजपा के कुछ पुराने नेता इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. यह भाजपा के लिए लखनऊ की सबसे मजबूत सीट है. पिछले दिनों उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की आशुतोष टंडन से हुई मुलाकात के बाद यहां का टिकट बदले जाने के कयास लगाए जाने लगे थे.
मलिहाबाद: मलिहाबाद से केंद्रीय आवास शहरी विकास राज्य मंत्री कौशल किशोर की पत्नी जया कौशल विधायक हैं. मगर इस बार जया की जगह कौशल किशर के पुत्र को भाजपा से टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही है. मलिहाबाद सीट वैसे 2017 की जीत से पहले कभी भी भाजपा का गढ़ नहीं रही है.
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बख्शी का तालाब: बख्शी का तालाब सीट पर भाजपा के अविनाश त्रिवेदी विधायक हैं. जिनको इलाके में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर पर सांसद कौशल किशोर उनको पसंद नहीं कर रहे हैं. ऐसे में बख्शी का तालाब से टिकट के कई बड़े दावेदार सामने आ रहे हैं. मगर भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का मानना है अविनाश त्रिवेदी का टिकट बच गया.
सरोजनी नगर:सरोजनी नगर से भाजपा की राज्य मंत्री स्वाती सिंह विधायक हैं. स्वाती सिंह पिछली बार अपने पति दयाशकंर सिंह के मायावती पर दिए गए विवादित बयान के बाद टिकट पाईं थीं. सरोजनी नगर में शहर का बड़ा हिस्सा शामिल होने से भाजपा को काफी लाभ हुआ है. यहां से टिकट की दावेदारी को लेकर रस्साकशी जारी है. खुद स्वाति सिंह के पति दयाशंकर सिंह का नाम भी यहां के टिकट दावेदारों के तौर पर चल रहा है.
मोहनलालगंज: मोहनलालगंज सुरक्षित विधानसभा सीट से 2017 में भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा था. यहां से तत्कालीन निर्दलीय आरके चौधरी का भाजपा ने समर्थन किया था. मगर यह सीट सपा के अम्बरीश पुष्कर ने जीती थी.इस बार आरके चौधरी सपा में हैं. ऐसे में इस सीट पर भाजपा को नया प्रत्याशी उतारना ही होगा. हाल ही में पूर्व आईएएस रामबहादुर बसपा छोड़कर भाजपा में आए हैं. वह पिछली बार के रनर अप थे. इसलिए उनको ही टिकट मिलने की पूरी उम्मीद है.
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