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आजादी से पहले की नहर को करा दिया था समतल, कोर्ट ने की ये टिप्पणी - 2558 हेक्टेअर की नहर को किया समतल

आजादी से पहले की बनी नहर को कागजों में हेरफेर और धोखाधड़ी करके समतल कराने के मामले में कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है. मामले में समर्पण करने वाले उप राजस्व अधिकारी की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी.

न्यायालय
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Published : Nov 20, 2020, 7:17 PM IST

लखनऊः उप-राजस्व अधिकारी का अपराध गंभीर है, यह टिप्पणी शुक्रवार को विशेष जज संदीप गुप्ता ने की. वह आजादी से पहले की नहर को बगैर शासनादेश के समतल कराने के मामले में सुनवाई कर रहे थे. इस मामले में गुरुवार को उप राजस्व अधिकारी कृष्ण गोपाल ने गुरुवार को समर्पण कर दिया था.

2558 हेक्टेयर कल्ली माइनर का मामला

2558 हेक्टेयर कल्ली माइनर को बिना शासनादेश के समतल कर दिया गया था. इस मामले में धोखाधड़ी और सरकारी कागजों में हेरफेर का भी आरोप है. मामले में अभियुक्त शारदा नहर खण्ड-2 के उप-राजस्व अधिकारी कृष्ण गोपाल ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया था. कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए पहले अंतरिम और उसके बाद नियमित जमानत अर्जी खारिज कर दी.

ओमैक्स लिमिटेड के निदेशक भी हैं अभियुक्त

इस मामले में सिंचाई विभाग के अन्य अधिकारी और ओमैक्स लिमिटेड के निदेशक भी अभियुक्त हैं. आरोप है कि वर्ष 2018 में अभियुक्तों ने शासन से अनुमति प्राप्त किए बगैर रायबरेली रोड से कल्ली पश्चिम जाने वाली नहर को समतल करा दिया. ओमैक्स लिमिटेड कंपनी को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी दे दिया गया.

करोड़ों रुपये का हुआ नुकसान

नहर समतल करने से सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग को करोड़ों रुपये की नहर की जमीन का नुकसान हुआ. इससे आजादी से पहले की इस नहर का अस्तित्व समाप्त हो गया. किसानों को भी सिंचाई में असुविधा होने लगी. 6 दिसंबर, 2019 को इस मामले की अनिल कुमार शुक्ला ने थाना पीजीआई में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें अभियुक्त के अलावा तत्कालीन अधीक्षण अभियंता षष्टम विद्यासागर सिंह, अधिशासी अभियंता लखनऊ खण्ड-2 योगेश कुमार रावल, सहायक अभियंता तृतीय शिव नारायण मौर्या, उपराजस्व अधिकारी कृष्ण गोपाल, तत्कालीन जिलेदार खण्ड-2 शारदा नहर देवी प्रसाद सिंह व ओमेक्स लिमिटेड के निदेशक को नामजद किया गया है.

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