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खुलासा: 'गोश्त पकाओ दोस्त आएंगे' आतंकियों का था कोडवर्ड, इस मैसेजिंग एप को करते थे यूज - हिंसक प्रदर्शन

प्रदेश की राजधानी लखनऊ और कानपुर से पकड़े गए आतंकी सीमा पार बैठे आतंकियों से बातचीत के लिए पीयर टू पीयर मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे. ऐसा खुलासा UP ATS ने किया है.

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Published : Jul 15, 2021, 2:16 PM IST

लखनऊ: यूपी में स्लीपर सेल बनाने के लिए पड़ोसी देश में बैठे आतंकी आकाओं के इशारे पर हैण्डलर पीयर-टू-पीयर मैसेजिंग एप का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके जरिए हैण्डलर अपना संदेश और आतंकी साजिश को रचने से लेकर उसे अंजाम देने तक की जानकारी स्लीपर सेल तक पहुंचा रहे हैं. UP ATS को आतंक फैलाने में इस एप के प्रयोग की जानकारी मिली है. इतना ही नहीं इसके जरिए बेरोजगार नौजवानों को आतंक के रास्ते पर ढकेलने के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है. ATS ने अब इस ऐप को डाउनलोड करने वाले लोगों की तलाश शुरू कर दी है. UP ATS को बुधवार को गिरफ्तार किए गए शकील के पास से डायरी भी मिली है. डायरी में कुछ पन्ने छोड़ हर पन्ने पर लिखा है- कौम खतरे में है.

ATS सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके साथ ही पड़ोसी देश में बैठे हैण्डलरों की तरफ से मुहैया कराया गया साहित्य भी नौजवानों को बांटा जाता था. CYBER एक्सपर्ट बताते हैं कि टेलीग्राम के अलावा भी कई एप हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से इन एप का नाम साझा नहीं किया जा सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, विशेष तौर पर एंड्रायड प्लेटफार्म पर इनक्रिप्टेड एप मौजूद हैं. जो आसानी से डाउनलोड किए जा सकते हैं. इन एप्स के जरिए की गई चैटिंग एण्ड-टू-एण्ड पर इनक्रिप्टेड होती है. जिसकी वजह से भेजे गए मैसेज को डिकोड करना काफी मुश्किल होता है.

बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का हो रहा इस्तेमाल
CAA को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया गया था. इसका खुलासा लखनऊ पुलिस ने PFI संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार करने के बाद किया था. वहीं, UP ATS ने जून 2020 में बरेली के कटघर से अंसार गजवातुल हिंद से जुड़े इनामुल हक को गिरफ्तार किया था. जिसने सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर स्लीपर सेल तैयार करने की बात कबूल की थी. इनामुल का दावा था कि उसने टेलीग्राम एप पर चैनल बना कर कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों को जोड़ा था. इस पर हिंसा से जुड़े मैसेज और वीडियो भेजे जाते थे. UP ATS इसकी गहराई से इसकी छानबीन कर रही है. इसके लिए साइबर एक्सपर्ट की भी मदद ली जा रही है.

खुरासान माड्यूल से जुड़े युवकों पर भी निगाह
7 मार्च 2017 को काकोरी स्थित हाजी कॉलोनी में एटीएस ने कमांडो ऑपरेशन कर खुरासान माड्यूल से जुड़े सैफुल्ला को ढेर कर दिया था. उसके कई साथी गिरफ्तार हुए थे. जांच एजेंसी ने गौस मोहम्मद, दानिश, फैसल, अजहर और फखरे समेत कई लोगों को पकड़ा था. जिन्होंने खुरासान माड्यूल के तहत तैयार किए गए स्लीपर सेल के बारे में जानकारी दी थी. चिह्नित युवकों को आतंक के रास्ते से वापस लाने के लिए एटीएस ने डी-रेडिक्लाइजेशन अभियान शुरू किया था, लेकिन अब ये युवक कहां है. इस बारे में किसी को भी जानकारी नहीं है. ऐसे में आशंका है कि यह लोग फिर से कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित होकर गलत रास्ते पर जा सकते हैं.

'गोश्त पकाओ दोस्त आएंगे'
ATS सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, यूपी को दहलाने के लिए एक संदेश 'पीयर-टू-पीयर' एप के जरिये कोडवर्ड में भेजा गया था. यह कोड था 'गोश्त पकाओ दोस्त आएंगे'. यह कोड टाइप करके नहीं बल्कि एक खास तरह के पेपर पर लिखकर 'पीयर-टू-पीयर' एप के जरिये भेजा गया था. जिसका इस्तेमाल केवल आतंकी संगठन ही कर रहे हैं. ATS ने इस कोड को डिकोड किया तो आतंकियों के खतरनाक मंसूबों की जानकारी हुई. UP ATS को ऐसे तमाम कोड्स की जानकारी मिली है. UP ATS को बुधवार को गिरफ्तार किए गए शकील के पास से डायरी भी मिली है. डायरी में कुछ पन्ने छोड़ हर पन्ने पर लिखा है- कौम खतरे में है.

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