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आखिरी दिन 889 यात्रियों को सफर कराकर यार्ड में खड़ी हो गई तेजस - कोरोना महामारी

लखनऊ से दिल्ली जाने वाले यात्रियों की पहली पसंदीदा ट्रेन बनी तेजस एक्सप्रेस को कोरोना काल में यात्री न मिलने की वजह से बंद करनी पड़ गई. आखिरी दिन तेजस एक्सप्रेस से 889 यात्रियों ने सफर किया और इसके बाद ट्रैक से हटाकर तेजस को यार्ड में खड़ा कर दिया गया. घाटे का सौदा साबित हो रही तेजस ट्रेन को आईआरसीटीसी (IRCTC) ने रेलवे बोर्ड से अगले आदेश तक निरस्त करने की मांग की थी, जिस पर बोर्ड ने सहमति दे दी.

तेजस एक्सप्रेस.
तेजस एक्सप्रेस.

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Published : Nov 23, 2020, 9:37 PM IST

लखनऊः देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस में आखिरी दिन कुल 889 मुसाफिरों ने सफर किया. इसमें 427 यात्री ट्रेन से लखनऊ से नई दिल्ली गए जबकि देर रात लखनऊ पहुंची तेजस में 462 यात्री नई दिल्ली से लखनऊ तक सफर करके पहुंचे. अब आइआरसीटीसी(IRCTC) ने ट्रेन संचालन बंद करने का निर्णय लिया है. अब तेजस का संचालन कब शुरू होगा, इस पर अभी अधिकारी कुछ भी कह पाने में असमर्थ हैं.

हर दिन का 13 लाख रुपए भुगतान
भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) तेजस एक्सप्रेस के संचालन के लिए रेलवे को प्रतिदिन करीब 13 लाख रुपए का भुगतान करता है. इसमें मरम्मत के साथ लीज की दर भी शामिल है. पिछले साल चार अक्टूबर को लखनऊ से नई दिल्ली के बीच तेजस के कामर्शियल रन की शुरुआत हुई थी. इस ट्रेन के बाद ही मुंबई अहमदाबाद तेजस और कॉरपोरेट ट्रेन वाराणसी-इंदौर काशी महाकाल की शुरुआत हुई. इस साल मार्च तक यह ट्रेनें संचालित होती रहीं, लेकिन कोरोना में लॉकडाउन के कारण रेलवे को मार्च से इन ट्रेनों का संचालन भी बंद करना पड़ा.

मिल रहे थे काफी कम यात्री
लखनऊ-नई दिल्ली और मुंबई-अहमदाबाद तेजस की शुरुआत पिछले माह कर दी गई. तेजस का एडवांस रिजर्वेशन पीरिएड 10 दिन रखा गया. जिसे बाद में बढ़ाकर एक महीना कर दिया गया. इतना करने के बावजूद 23 नवंबर के बाद तेजस को किसी दिन 20 तो किसी दिन 30 यात्री मिल रहे थे.

ट्रेन के लेट होने पर मिलता था पैसा
देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस में ट्रेन के लेट होने पर यात्रियों को पैसा मिलता था. अगर एक घंटे ट्रेन लेट हुई तो 100 रुपये और दो घंटे लेट होने पर 250 रुपए यात्रियों को वापस किए जाते थे.

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