लखनऊ:डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में शिक्षक 2013 के शासनादेश के तहत भरे हुए सृजित पदों पर स्थायीकरण की मांग को लेकर शिक्षक गुरुवार को विश्वविद्यालय धरना प्रदर्शन करेंगे. कुछ शिक्षक प्रोन्नति के लिए लिफाफे खुलने के इंतजार में लम्बे समय से लंबित कार्य परिषद् की बैठक का इंतजार कर रहे थे. लेकिन, विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं कर रहा है. इससे नाराज होकर शिक्षकों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है. शिक्षकों का कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी इन दोनों मांगों पर सहमति नहीं देता है, तब तक आंदोलन करते रहेंगे. इसी के साथ मांगों के पूरा न होने तक कार्यालय आएंगे और शोध का काम करेंगे.
लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में प्रोन्नति के लिए शिक्षक करेंगे प्रदर्शन
डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षक स्थायीकरण की मांग को लेकर गुरुवार से विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षक धरना प्रदर्शन करेंगे. मांगें पूरी न होने तक सभी शिक्षकों ने कार्य बहिष्कार का एलान किया है.
शिक्षकों का कहना है कि अगर विश्वविद्यालय उनकी मांगों पर विचार नहीं करता है तो गुरुवार से ना तो कोई प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन लेगा, न ही वाइबर इत्यादि आयोजित होगा. इसके अलावा न ही प्रश्नपत्र बनाया जाएगा. इसी के साथ परीक्षा संचालन में भी किसी तरह का सहयोग विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं दिया जाएगा. शिक्षकों का कहना है कि 2013 के शासनादेश के तहत निकाले गए पदों पर शिक्षकों को स्थाई किया जाए या फिर कार्य परिषद बुलाकर इस पर निर्णय लिया जाए. शिक्षकों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार उनको मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है. शिक्षकों की सेवाओं को लगातार नजरअंदाज कर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है. जिससे शिक्षकों का मनोबल पूरी तरह से गिरा हुआ है.
शिक्षक और विश्वविद्यालय प्रशासन में तनातनी के चलते छात्र भी अपनी मनमानी कर रहे हैं. हाल ही में चौथे और पांचवें वर्ष के बीए एलएलबी के छात्रों ने 2 अप्रैल से 5 अप्रैल तक फेयरवेल पार्टी करने का फैसला लिया. विश्वविद्यालय में चारों तरफ अराजकता फैली हुई है. 17 अप्रैल से बीए एलएलबी ऑनर्स के छात्रों की परीक्षाएं एवं 15 अप्रैल से एलएलएम की परिक्षायें शुरू होनी है. गिरते मनोबल और वेतन प्राप्त न होने तथा ठंडे बस्ते में स्थायीकरण की प्रक्रिया को देखते हुए शिक्षकों ने परीक्षा में सहयोग न करने का निर्णय लिया है. शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन पूरे प्रकरण पर चुप्पी साधे बैठा हुआ है. बीते दिनों सहायक कुलसचिव डॉ. अजीता सिंह ने नियुक्त शिक्षकों का वेतन रोक दिया था. जो बाद में कुलपति के हस्तक्षेप के बाद जारी किया गया.