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शिक्षकों ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, इनकी ड्यूटी चुनाव में न लगाने की उठाई मांग

शिक्षकों ने अपनी मांग को लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. उन लोगों ने मांग की है कि निर्वाचन ड्यूटी में लगे कार्मिक का एक करोड़ रुपये का बीमा कराया जाए. महिला कार्मिक को पीठासीन अधिकारी न बनाया जाए और रात्रि में बूथ पर रुकने के लिए बाध्य न किया जाए.

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Published : Jan 23, 2022, 5:38 PM IST

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चुनाव आयोग

लखनऊ :उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने निर्वाचन आयोग को पत्र भेजा है. उनकी ओर से आगामी विधानसभा चुनाव में निर्वाचन ड्यूटी करने वाले कर्मचारी और शिक्षकों के कोरोना संक्रमण से बचाव और निर्वाचन ड्यूटी में जाने से पूर्व मतदान कराने की व्यवस्था करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि गत पंचायत निर्वाचन में कोरोना संक्रमण के कारण लाखों कर्मचारी संक्रमित हुए और हजारों कर्मचारी और शिक्षक काल के गाल में समा गए.

शिक्षक संगठन ने यह मांगें उठाई

- कोविड प्रोटोकॉल का अक्षरश: पालन कराया जाए.
- पोलिंग पार्टी के कार्मिकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण कराया जाए.
- निर्वाचन ड्यूटी में लगे कार्मिक का एक करोड़ रुपये का बीमा कराया जाए.
- निर्वाचन ड्यूटी में संलग्न कार्मिक के संक्रमित होने पर कार्मिक के इलाज पर होने वाला संपूर्ण व्यय निर्वाचन आयोग की ओर से की जाए.

उत्तर प्रदेश में किसी भी शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, आंगनवाड़ी और संविदा कर्मी को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदत्त निशुल्क चिकित्सा सुविधा प्राप्त नहीं है.

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- विकलांग एवं गंभीर रूप से बीमार शिक्षक की ड्यूटी न लगाई जाए.

- महिला कार्मिक को पीठासीन अधिकारी न बनाया जाए और रात्रि में बूथ पर रुकने के लिए बाध्य न किया जाए.

- गर्भवती एवं धात्री महिला कार्मिकों को ड्यूटी से मुक्त रखा जाए.

- ऐसे कार्मिक जो पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में है, उनमें से महिला कार्मिक की ड्यूटी न लगाई जाए.

- ड्यूटी के उपरांत 7 दिन का क्वॉरेंटाइन अवकाश दिया जाये.

- निर्वाचन में संलग्न कार्मिकों के मतदान की समुचित व्यवस्था न होने के कारण अधिकांश कार्मिक अपने मताधिकार से वंचित रह जाते हैं. इसलिए पोलिंग पार्टी के कार्मिकों के निर्वाचन ड्यूटी में जाने से एक या दो दिन पूर्व ब्लॉक या तहसील मुख्यालय पर मतदान की व्यवस्था की जाए.

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