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न्यायालय में जीत के बाद भी भटक रहे शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी, कुल 34 सुनवाई के बाद मिली थी राहत - Lucknow News

69000 शिक्षक भर्ती मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश को बेसिक शिक्षा विभाग तवज्जो नहीं दे रहा है. इसके चलते नियुक्ति की आस में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी भटक रहे हैं. उच्चतम न्यायालय ने 11 माह पहले 09 नवम्बर 2022 को नियुक्ति का आदेश दिया था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 22, 2023, 7:42 PM IST

भटक रहे शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी. देखें खबर

लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों की 69000 शिक्षक भर्ती उत्तर प्रदेश सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में साल 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू किया था. आज पांच साल बीत जाने के बाद भी सरकार इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के बाद भी इसमें व्याप्त चुनौतियों को समाप्त नहीं कर पा रही है. एक ओर जहां इस भर्ती प्रक्रिया में परीक्षा में पूछे गए शैक्षिक परिभाषा प्रश्न को गलत ठहराते हुए न्यायालय की शरण में आए अभ्यर्थियों को एक अंक देते हुए मेरिट के अनुसार चयन करने के 9 नवंबर 2022 के उच्चतम न्यायालय के अंतिम आदेश के अनुपालन नहीं हो पाया है. वहीं इस प्रक्रिया के तहत चयनित किए गए 6800 अभ्यर्थियों के आरक्षण के मामले में हुई गलती के कारण अब उन पर भी नौकरी जाने का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में विभाग इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर जो भी जटिलताएं सामने आ रही हैं उसे हल करने के बजाय लगातार टलती जा रही हैं.

इसी प्रश्न को लेकर चल रहा था विवाद.


भर्ती को लेकर दो धड़े लगातार कर रहे प्रदर्शन :69000 शिक्षक भर्ती में मेरिट में एक नंबर जोड़ने और आरक्षण नियमों को लागू करने में कोई गड़बड़ी के कारण 6800 अभ्यर्थियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. ऐसे में इस बढ़ती प्रक्रिया में जो अभ्यर्थी नौकरी पाए गए हैं. वह जो नौकरी पाने से वंचित रह गए हैं वह लगातार अपने-अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. जहां मेरठ में एक नंबर जोड़ने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर लखनऊ के इको गार्डन में 46वें दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रहा. दूसरी तरफ 6800 अभ्यर्थी जिन पर गलत आरक्षण के कारण नौकरी से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है. वह लगातार बेसिक शिक्षा निदेशालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, सहित विभिन्न मंत्रियों व उपमुख्यमंत्रियों के कार्यालय व आवास का घेराव कर रहे हैं. इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी बेसिक शिक्षा परिषद इन अभ्यर्थियों को केवल आश्वासन पर आश्वासन ही दे रही है.

भटक रहे शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी.


सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट में 34 बार सुनवाई के बाद आया था फैसला :प्रसून दीक्षित ने बताया कि जब हमने इस सवाल को लेकर आपात टी उठाया तो सरकार ने उसे साफ मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद हम इस मामले की सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर 25 अगस्त 2021 को इलाहाबाद हाई कोर्ट डबल बेंच ने इस भर्ती परीक्षा के एक शैक्षिक परिभाषा प्रश्न पर एक अंक प्रदान करते हुए मेरिट के अनुसार चयन करने का आदेश पारित किया था. यह आदेश उसे समय इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मुनेश्वर नाथ भंडारी और अनिल ओझा की बेंच ने दिया था.

भटक रहे शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी.


हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने इस मामले पर हीला हवाली करना शुरू कर दिया. परीक्षा नियामक प्राधिकरण के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने इस मामले में उच्च अदालत में सरकार की तरफ से यज्ञ करने की बात कही गई और मामले को टरकाया जाने लगा. प्रसून दीक्षित ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार द्वारा 7 माह बाद अप्रैल 2022 में सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था. 11 माह पहले हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 09 नवंबर 2022 को सरकार की याचिका को खारिज कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दोनों मिलकर 34 बार इस मामले को सुना गया और दोनों बार ही अभ्यर्थियों की जीत हुई है. पर सरकार इसके बाद भी इस मामले पर कोई निर्णय नहीं ले रही है.

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