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आर-पार की लड़ाई के मूड में डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के शिक्षक, बोले-8 साल से हो रही अनदेखी - लोहिया विधि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ

डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने विवि प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. शिक्षकों ने बैठक कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की.

डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं.
डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं.

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Published : Apr 10, 2023, 4:29 PM IST

डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं.

लखनऊ :डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षक स्थाई नियुक्ति के लिए अब आर-पार की लड़ाई की तैयारी में हैं. शिक्षकों का आरोप है कि विश्वविद्यालय साल 2013 के शासनादेश को टालता चला आ रहा है. इसमें पदों के नियमितिकरण/ स्थाईकरण की बात कही गई थी. विश्वविद्यालय की ओर से सही तरीके से पैरवी न करने के कारण बीते 8 सालों से शिक्षकों को नियमितीकरण का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष एपी सिंह ने कहा कि विवि के शिक्षकों के प्रमोशन भी विलंब किए जा रहे हैं. शिक्षकों में अब नाराजगी बढ़ गई है. अपनी मांगों को लेकर बीते दिनों शिक्षकों ने विश्वविद्यालय में धरना प्रदर्शन किया था. परीक्षाओं के बहिष्कार की भी बात कही थी. कुलपति ने 17 अप्रैल को कार्यपरिषद की बैठक बुलाने का आश्वासन दिया है. शिक्षकों का कहना है कि अगर 17 अप्रैल को प्रमोशन व दूसरी मांगों पर विश्वविद्यालय निर्णय नहीं लेता है तो उसी दिन शाम से ही कार्य बहिष्कार किया जाएगा.

शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर एपी सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश शासन ने साल 2013 में विश्वविद्यालय में शिक्षकों के पद सृजित किए थे. इन पदों के सापेक्ष शिक्षकों का चयन कर लिया गया. अगले दो-तीन सालों में इसे नियमितीकरण कराकर शिक्षकों को परमानेंट किया जाना था, लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा 2016 के बाद से अब तक शासन को केवल फाइल बनाकर भेजी जा रही है. चयनित सभी शिक्षकों को नियमितीकरण या स्थाईकरण अब तक हो जाना चाहिए था. प्रोफेसर सिंह ने बताया कि इसके अलावा शिक्षकों के प्रमोशन भी लंबित पड़े हैं. जनवरी में शिक्षकों ने इसका विरोध किया था तब कुलपति ने सेलेक्शन कमेटी बुलाकर शिक्षकों के प्रमोशन के लिए साक्षात्कार तो लिए थे लेकिन उनके प्रमोशन के लिफाफे आज तक नहीं खोले गए हैं. साक्षात्कार हुए 4 महीने से अधिक का समय बीत चुका है.

आंदोलन को देखते हुए कुलसचिव की ओर से 9 अप्रैल की शाम को एक आधिकारिक जानकारी सभी शिक्षकों को भेजी गई. बताया गया कि 17 अप्रैल को कार्य परिषद की बैठक बुलाई गई है. प्रोफेसर सिंह ने बताया कि रजिस्ट्रार अनिल मिश्रा के माध्यम से एक ई-मेल प्राप्त हुआ है. विरोध को खत्म करने और आगामी विश्वविद्यालय परीक्षाओं में सहयोग करने का अनुरोध किया गया है. इस मेल में कहा गया है कि 2013 के शासनादेश के माध्यम से सभी शिक्षकों के पदों को नियमित / स्थाईकरण करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और विशेष रूप से एक अधिकारी को सचिव, उप्र उच्च शिक्षा विभाग से पत्राचार करने के लिए ड्यूटी पर लगाया गया है. दूसरे बिंदु पर मेल में कहा गया है कि 17 अप्रैल 2023 को अपराह्न 3:00 बजे 43वीं कार्यकारी परिषद की बैठक के आयोजन के संबंध में सूचित किया गया है.

शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने बताया कि सभी शिक्षकों ने सोमवार को बैठक कर यह निर्णय लिया है कि विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक आगामी 17 अप्रैल तक सुचारू रूप से अपना काम करेंगे. वह कार्य परिषद के निर्णय का इंतजार भी करेंगे. 17 अप्रैल की शाम तक उनकी मांगों पर अगर कुलपति के द्वारा निर्णय नहीं लिया जाता है तो शिक्षक 17 की शाम से ही कार्य बहिष्कार पर चले जाएंगे. डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुबीर कुमार भटनागर का कहना है कि शिक्षकों के साथ किसी तरह का कोई अन्याय नहीं हो रहा है. सभी शिक्षकों की चयन प्रक्रिया पूरी व नियमित है. उनका कहना है कि शिक्षकों का नियमितीकरण नहीं किया जा रहा है, ऐसा बिल्कुल नहीं है. प्रोफेसर भटनागर ने बताया कि हम हर साल प्रस्ताव बनाकर उच्च शिक्षा विभाग व शासन को भेज देते हैं. शासन की ओर से सभी पदों को सत्रांत के लिए बढ़ा दिया जाता है. इस बार हमने विश्वविद्यालय की तरफ से एक अधिकारी की ड्यूटी इसी काम के लिए लगाई है. विश्वविद्यालय शिक्षकों के खिलाफ कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेगा जिससे किसी भी शिक्षक का कोई नुकसान हो.

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