लखनऊ : सरकार की मुहीम है कि 2025 तक देश को टीबी मुक्त देश बनाया जाए. इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार अलग-अलग अभियान भी चला रहे हैं. अब इसके तहत स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी व सीएचसी) पर ट्रूनाट मशीनों द्वारा टीबी की जांच बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही ट्रूनाट मशीनों की मैपिंग कराकर लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षित किया जाए, ताकि टीबी लक्षण युक्त मरीजों की जांच जल्द हो सके. इसके अलावा ट्रूनाट मशीनों की उपयोगिता रिपोर्ट भी हर माह राज्य स्तर पर भेजने को कहा गया है.
स्क्रीनिंग और सैंपल लेने की व्यवस्था :स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि 'हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी स्क्रीनिंग और सैंपल लेने की व्यवस्था की गई है, ताकि जल्द से जल्द टीबी मरीजों की पहचान कर उनका शीघ्र इलाज शुरू किया जा सके. नोटिफिकेशन बढ़ाने के साथ ही छूटे हुए मरीजों को निक्षय पोर्टल पर नोटिफाई कराने के निर्देश दिए गए हैं. स्वास्थ्य महानिदेशक ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को पोषण के लिए मिलने वाली 500 रुपये की राशि का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए. प्रथम किश्त एक हजार रुपये की राशि का भुगतान करने की तिथि 15 दिसम्बर निर्धारित की गई थी, जिन मरीजों के बैंक खाते का विवरण उपलब्ध नहीं है, उसे भी शीघ्र अपडेट किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.'
हर सीएचसी पीएचसी में होगी जांच :उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में 821 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 30 बेड हैं यानि पूरे प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 24630 बेड हैं, वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों की संख्या 4,600 है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जांच के लिए ट्रूनाट मशीन स्थापित की जाएगी. जिससे जिस क्षेत्र में सीएचसी या पीएचसी है. वहां के मरीजों को जांच के लिए अन्य बड़े संस्थानों में भटकना नहीं पड़ेगा.