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जानिए पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी अबू की कहानी, जिन्होंने बनाई एशियन गेम्स में जगह

राजधानी लखनऊ के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी अबू हुवेदा को अब तक कई अंतराराष्ट्रीय पुरुस्कार मिल चुके हैं. कफी संघर्षों से घिरी हुई है अबू की कहानी. आइए जानते में एशियन गेम्स में अपनी जगह बनाने वाले अबू हुवेदा की दिलचस्प कहानी...

दिव्यांग अबू .
दिव्यांग अबू .

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Published : Dec 10, 2020, 9:10 PM IST

लखनऊ:किसी ने सही ही कहा है कि कुछ कर गुजरने को चाहो तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं. रुकावटें कितनी बड़ी क्यों ना हो, अगर हौसला है तो मंजिल मिल ही जाती है. राजधानी लखनऊ में एक ऐसे पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने हौसलों के दम पर देश और दुनिया में अपने हुनर का लोहा मनवाया है. अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी अबू हुवेदा ने अपनी दिव्यांगता को अपनी ताकत बनाई और जिंदगी की जंग को जीतने के लिए बैडमिंटन को अपनी तलवार बना लिया. एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद भी अबू ने अपनी कड़ी मेहनत और हौसलों के दम पर एशियन गेम जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में जगह बनाई और देश को रिप्रजेंट किया. अबू विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 20 प्रतियोगिताओं में मेडल प्राप्त कर चुके हैं.

जानिए कैसे बनाई दिव्यांग पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी अबू ने एशियन गेम्स में जगह
कामयाबी मिलने के बाद बदलती है लोगों की सोचअबू ने बताया कि आप जब तक कामयाब नहीं होते हैं तब तक लोगों की सोच आप के प्रति नहीं बदलती है. लोगों की सोच बदलने के लिए आपको खुद को साबित करना पड़ता है. मेरे साथ कई ऐसी घटनाएं हुई लेकिन मैं उनकी चर्चा नहीं करना चाहूंगा. दिव्यांगों के साथ लोग यह सोचते हैं कि आखिर यह अब जीवन में क्या करेंगे? कई बार तो ऐसा महसूस होता है कि आखिर हम जी ही क्यों रहे हैं लेकिन हौसला नहीं हारना चाहिए। आपको अपने आसपास के लोगों की सोच को बदलना है तो खुद को साबित करना पड़ेगा। मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने अपने आप को साबित किया और अब लोगों की सोच मेरे प्रति बदल गई है। लोग मेरे साथ सेल्फी खींचते है। लोग मेरे भविष्य के प्लान के बारे में मुझसे पूछते हैं तो मुझे अच्छा लगता है और यह सब मेरे खेल की वजह से ही संभव हुआ है।

बचपन से ही खेल के प्रति था लगाव
अबू ने बताया कि मुझे खेल के प्रति बचपन से ही लगाव था। शुरुआती दिनों में गली और मोहल्ले में सामान्य बच्चों के साथ खेलता था। धीमे-धीमे मैंने खेल को अपना कैरियर बनाया और आज मैं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बैडमिंटन का खिलाड़ी हूं

दोस्तों ने नहीं होने दिया कमजोरी का एहसास
अबू ने बताया कि मेरे दोस्तों ने हमेशा मेरा साथ दिया कभी मेरे दोस्तों ने मुझे यह महसूस नहीं होने दिया कि मेरे अंदर कोई कमी है। मैं अपने दोस्तों का शुक्रगुजार रहूंगा अगर मेरे दोस्तों ने मुझे मोटिवेट नहीं किया होता तो यह सफर कभी तय नहीं हो पाता।

2014 में बैडमिंटन की तरफ हुआ रुझान
अबू ने बताया कि वर्ष 2014 में मैंने बैडमिंटन की ओर रुख किया। शुरुआती दौर में मैंने जिले लेवल पर फिर प्रदेश लेवल पर और फिर नेशनल लेवल पर जगह बनाई। मुझे गर्व है कि मैंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत को रिप्रेजेंट किया है। वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स चैंपियनशिप में हिस्सा लेना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

नेशनल क्रिकेट टीम का भी रहे हैं हिस्सा
अबू ने जानकारी देते हुए बताया कि वह इंडियन पैरा क्रिकेट टीम का भी हिस्सा रहे हैं। पहले यह क्रिकेट खेलते थे क्रिकेट खेलते खेलते इन्होंने इंडियन टीम में जगह बनाई। हालांकि, बाद में इनका रुक बैडमिंटन की तरफ हो गया और उन्होंने बैडमिंटन को अपना साथी चुन लिया।

देश के लिए कुछ करने की इच्छा
अबू ने बताया कि वह इस देश के लिए कुछ करना चाहते हैं देश का नाम रोशन करने के लिए और लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं. जिससे कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में वह बेहतर प्रदर्शन करें और देश का नाम रोश करें. अबू ने बताया कि वह द्रोणाचार्य अवॉर्ड से नावाजे गए गौरव खन्ना से प्रशिक्षण ले रहे हैं. अबू खेल में अच्छा प्रदर्शन करके देश के लिए मेडल लाना चाहते हैं.

किन-किन प्रतियोगिताओं में अबू को मिल चुका है अवार्ड ?
अबू को पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी अबू हुवेदा को कई अवार्ड मिल चुके हैं. अबू हुवेदा को थाईलैंड पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में सिल्वर, थर्ड नेशनल पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड, फर्स्ट दुबई पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में सिल्वर, सेकंड नेशनल परा बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड, युगांडा पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट 2017 में गोल्ड, नेशनल ओपन पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट 2014 में गोल्ड मेडल सहित वर्ष 2016 में राज्य स्तरीय बेस्ट हैंडीकैप प्लेयर का सम्मान मिल चुका है.

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