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उन्नाव रेपकांड मामले में उत्तर प्रदेश सरकार दिख रही संवेदनहीन: स्वाति मालीवाल - लखनऊ समाचार

उन्नाव रेपकांड मामले में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पीड़िता का हाल जानने के लिए केजीएमयू ट्रामा सेंटर आई हुई हैं. इस दौरान दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की.

स्वाति मालीवाल की ईटीवी भारत से खास बातचीत.

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Published : Aug 1, 2019, 7:22 PM IST

लखनऊ: दिल्ली महिला आयोग की चीफ स्वाति मालीवाल उन्नाव रेप पीड़िता का हाल-चाल लेने के लिए केजीएमयू ट्रामा सेंटर आई हुई है. उन्नाव रेप केस पीड़िता का रायबरेली में एक्सीडेंट होने के बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. ट्रामा सेंटर में स्वाति मालीवाल से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

स्वाति मालीवाल की ईटीवी भारत से खास बातचीत.

उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक नहीं लिया एक्शन

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कहती हैं कि जब से यह एक्सीडेंट हुआ है उसके बाद से ही मैं ट्रॉमा सेंटर और लखनऊ में हूं और लगातार लड़की के परिजनों के संपर्क में हूं. मुझे इस बात का बेहद दुख हो रहा है कि इतने दिनों से उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी तरह का एक्शन लेती हुई नजर नहीं आ रही है. सभी को पता है कि यह एक्सीडेंट भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का किया हुआ है. इसके बावजूद वह अब तक विधायक बना हुआ है. दबाव की वजह से सरकार ने भले ही उसे पार्टी से निष्कासित किया हो लेकिन अब भी एमएलए है. एक लड़की के लिए जहां पूरा देश दुआएं कर रहा है, उसकी जिंदगी के लिए प्रार्थना करते नजर आ रहा है वहीं प्रदेश की सरकार ही संवेदनहीन नजर आ रही है.

उत्तर प्रदेश महिला आयोग कर रहा केवल खानापूर्ति

गुरुवार को सुबह उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम भी पीड़िता को देखने के लिए ट्रामा सेंटर आई थी यहां पर उन्होंने बयान दिया कि वह वेंटिलेटर पर नहीं है और खतरे से बाहर है. इस पर स्वाति मालीवाल ने कहा कि पिछले 4 दिनों से दिल्ली महिला आयोग यहां पर लगातार बैठी हुई है, लेकिन उत्तर प्रदेश की महिला आयोग को इतना समय नहीं है कि वह आकर इस मामले की पड़ताल करें. आज आकर उन्होंने जो खानापूर्ति की है वह सभी को दिख रहा है.

दिल्ली महिला आयोग के तमाम कोशिशों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता के सभी केस को सीबीआई को सौंपा है. उनसे पूछा है कि 1 महीने के बजाय 1 हफ्ते में यह कार्रवाई पूरी क्यों नहीं की जा सकती. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से यह भी पूछा है कि पीड़िता को एअरलिफ्ट क्यों नहीं करवाया जा सकता और यही सवाल हमारा भी पहले दिन से ही है. पहले दिन से ही हम यह मांग कर रहे हैं कि पीड़िता को दिल्ली के किसी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जाए ताकि उसकी हालत में सुधार हो सके और वह जिंदगी और मौत के बीच की जंग जीत सके. हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारा साथ दिया है.
- स्वाति मालीवाल, अध्यक्ष, दिल्ली महिला आयोग

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