लखनऊ:राजधानी स्थित निराला नगर श्रीरामकृष्ण मठ में चल रहे स्वामी विवेकानन्द की चार दिवसीय 159 वीं जयंती समारोह का 7 फरवरी को विविध कार्यक्रमों के साथ समापन हुआ. समापन दिवस पर रोगियों की सेवा भी की गई. कार्यक्रम का शुभारंभ मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथनन्दजी महाराज द्वारा 'स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में श्री रामकृष्ण' पर प्रवचन से हुआ.
स्वामी मुक्तिनाथनन्दजी महाराज. स्वामी विवेकानंद के युग में पैदा हुए हमस्वामी मुक्तिनाथनन्दजी महाराज ने कहा कि जैसे एक आभूषण को केवल विशेषज्ञ जौहरी ही मूल्यांकित कर सकता है. उसी प्रकार भगवान रामकृष्ण जैसे दिव्य पुरुष स्वामी विवेकानन्द की बहुमुखी प्रतिभा का अनुमान लगा सकते हैं. श्री रामकृष्ण कहा करते थे, ऐसा विशाल व्यक्तित्व पहले कभी पैदा न हुआ और फिर न कभी पैदा होगा. स्वामी जी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम रामकृष्ण विवेकानंद युग में पैदा हुए, ताकि हम अपने जीवन को उनकी शिक्षाओं के अनुसार ढाल सकें और अपने जीवन को हर संभव तरीके से सफल बना सकें.
रोगी नारायण की हुई पूजाजयंती कार्यक्रम के आखिरी दिन रोगी नारायण पूजा की गई. रोगी की पूजा भगवान के रूप में की जाती है. इसमें विवेकानन्द पॉलीक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के साधुवृन्द, मेडिकल डायरेक्टर, कार्मिक अधिकारी, उपचारिकाएं और पैरामेडिकल स्टाफ ने रोगियों की औपचारिक आरती करते हुए पूजा की. इस अवसर पर मरीजों को फल एवं बिस्किट वितरित किए गए.
अंतिम दिन हुई रोगी नारायण की पूजा. स्वामी जी ने युवाओं को 'बनो और बनाओ' का मंत्र दियासमापन दिवस पर युवा सम्मेलन का आयोजन मठ सभागार में किया गया, जिसमें मुख्या वक्ता उच्च न्यायालय इलाहाबाद, निदेशक आध्यात्मिक, शैक्षिक विंग, भग्योदय फाउंडेशन और नई दिल्ली के अधिवक्ता रविराज सिंह ने युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द पर पर व्याखान दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने युवाओं को ‘बनो और बनाओ’ का मन्त्र दिया है.
शास्त्रीय संगीत हुआयुवा सम्मेलन के बाद एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें लखनऊ के युवा प्रतिभा पार्थमेश चौधरी ने शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया. उसके बाद राग यमन में एक ठुमरी और स्वामी जी का भजन गाया.