लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य बहुसंख्यक हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. पहले रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी की और अब दीपावली के मौके पर मां लक्ष्मी पर भी बयान देकर चर्चा में आ गए. अपनी राजनीतिक जमीन खो चुके स्वामी प्रसाद मौर्य शायद ऐसे बयान देकर चर्चा में बने रहना चाहते हैं. हालांकि उनकी यह चाहत समाजवादी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है. सपा मुखिया अखिलेश यादव को मालूम है कि अकेले मुसलमानों और यादवों के दम पर चुनाव नहीं जीता जा सकता है. यही कारण है कि न सिर्फ अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद के बयानों से किनारा कर चुके हैं, बल्कि पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी इन बयानों से नाराज हैं. पांच राज्यों के बाद जब उत्तर प्रदेश में लोकसभा के चुनावों का माहौल बनेगा तो भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है, जिसका नुकसान समाजवादी पार्टी को होना तय है.
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं 'उम्र के करीब सत्तरवें पड़ाव पर पहुंच कर स्वामी प्रसाद ने अपनी आस्था बयान की है. उन्होंने कहा कि वह दिपावली पर अपनी पत्नी का पूजन करते हैं. अभी तक वह अपने को बौद्ध कहते थे. वैसे पत्नी पूजन उनकी व्यक्तिगत आस्था है. इस पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती. यदि वह यही संदेश देकर रुक जाते तो इस पर चर्चा की भी कोई आवश्यकता नहीं थी, लेकिन सपा में पहुंच कर वह हिंदू अस्था पर प्रहार का एजेंडा चला रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने देवी लक्ष्मी पर अमर्यादित टिप्पणी की है. वह जानते हैं कि हिंदू उदारवादी हैं. सहिष्णु हैं. इसलिए हिंदू धर्म पर हमला बोलकर अपने को राजनीति में चर्चित रखा जा सकता है. स्वामी प्रसाद यही कर रहे हैं. अन्य मजहबों पर बोलने के खतरे उन्हें मालूम है. इसलिए उसका पूरा ज्ञान हिंदुओं के लिए रहता है. अच्छा यह है कि इस नेता की कोई विश्वसनीयता नहीं रहा गई है. पार्टी के अनुरूप इनके रंग बदलते हैं. बसपा में थे तो मायावती को एक हाथ से पुष्प गुच्छ देते थे, दूसरे हांथ से उनका चरणा स्पर्श करते थे. भाजपा में पहुंचे तो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के तत्व इनमें समाहित हो गए. इन दोनों दलों की यात्राओं के समय उनके निशाने पर सपा ही हुआ करती थी. बसपा में रहते हुए यह मुलायम सिंह यादव पर अमर्यादित टिप्पणी करते रहे. अच्छा है कि सपा के वर्तमान मुखिया उन बातों को याद नहीं करना चाहते. वैसे अखिलेश यादव को भी प्रदेश का सर्वाधिक विफल मुख्यमंत्री बताया गया था. आज स्वामी प्रसाद सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध उन्हीं की पार्टी से शुरू हुआ और वरिष्ठ सपा नेता और पूर्व मंत्री आईपी सिंह ने कहा 'पांच वर्ष बीजेपी में आप कैबिनेट मंत्री रहे, तब मां लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी पर अभद्र टिप्पणी करते हुए डरते थे.आपकी बेटी बदायूं से सांसद हैं. अपने को सनातनी बताती हैं. कोई पूजा-पाठ नहीं छोड़तीं. कम से कम आप अपने बेटे-बेटी को समझा लेते. पार्टी को नुकसान पहुंचाना बंद करिए. यह आपके निजी विचार हैं. समाजवादी पार्टी से इसका दूर-दूर तक मतलब नहीं. समाजवादी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है.मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव जी पांच नवंबर को बाबा केदारनाथ जी के दर्शन करके लौटी हैं. हिन्दू धर्म में पूरी आस्था है, समाजवादी पार्टी की.' इससे पहले खुद अखिलेश यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों से खुद को अलग कर चुके हैं.