लखनऊ:सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि बेटियों को भी समानता का अधिकार मिलेगा. संयुक्त हिंदू परिवार में पिता की संपत्ति में बेटी का भी बराबर का अधिकार होगा. भले ही उसका जन्म हिंदू उत्तराधिकार संशोधन कानून 2005 के अमल में आने से पहले क्यों न हुआ हो. इतना ही नहीं पिता की मौत इससे पहले भी हुई हो तो भी बेटी को पूर्वजों की संपत्ति में पुत्रों के समान अधिकार मिलेगा. हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 संशोधन की तिथि से प्रभावी लागू माना जाएगा. इससे बेटियों के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होगा, क्योंकि बेटियों को भी पुत्रों के समान बराबर का हक होना चाहिए. इसलिए यह फैसला स्वागत योग्य है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला, बेटियों को भी मिलेगा पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बेटियों को भी समानता का अधिकार मिलेगा. संयुक्त हिंदू परिवार में पिता की संपत्ति में बेटी का भी बराबर का अधिकार होगा. इसको लेकर ईटीवी भारत ने जानी अधिवक्ताओं की राय.
हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बेटियों को समाज में समानता का अधिकार मिलेगा और सम्मान मिलेगा. यह कानून पूरे हिंदुस्तान की बेटियों को एक नई ऊंचाइयों पर ले जाने का कार्य करेगा. वहीं अधिवक्ता आरपी सिंह ने बताया कि इस कानून के आने से बेटियों का सम्मान बढ़ेगा. हम सभी को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए. किसी भी व्यक्ति को इस फैसले से परहेज नहीं होना चाहिए.
महिला अधिवक्ता संध्या शर्मा ने कहा कि अभी तक महिलाओं का एक तरह से शोषण होता था. इस फैसले के आ जाने से समाज में महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा. इस फैसले से महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी ठीक होगी, जिससे वह अपने आप को असहज महसूस नहीं करेंगी. इस फैसले से पूरे हिंदुस्तान की महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ी है.