लखनऊ :16 जुलाई यानि शुक्रवार को सूर्य देव कर्क राशि में आ गए. इसे कर्क संक्रांति कहा जाता है. जुलाई के महीने में सूर्य का राशि परिवर्तन महत्वपूर्ण माना जाता है. कर्क संक्रांति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य इस दिन से दक्षिणायन हो जाते हैं. सूर्य के दक्षिणायन होते ही मांगलिक कार्य भी अब ठप्प हो जाएंगे.
अलीगंज स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य एस.एस नागपाल बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य का गोचर कर्क राशि में 16 जुलाई को सायंकाल समय 5: 13 मिनट पर हुआ. सूर्य कर्क राशि में 17 अगस्त तक रहेगा. सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करते ही दक्षिणायन की शुरुआत हो जाती है जो 14 या 15 जनवरी को मकर संक्रांति तक चलती है. मकर राशि में आने से सूर्य पुनः उत्तरायण होंगे. दक्षिणायन सूर्य में शादी-ब्याह सहित अन्य मांगलिक कार्य भी नहीं होते हैं.
6 महीने रहेगी देवताओं की रात्रि
एस.एस नागपाल बताते हैं कि धार्मिक मान्यता के अनुसार कर्क राशि से लेकर आगे की 6 राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला वृश्चिक और धनु राशि तक की सूर्य की यात्रा की अवधि के मध्य पितरों का दिन और देवताओं की रात्रि होती है. पिता-पुत्र क्रमशः सूर्य और शनि कर्क और मकर राशि में एक दूसरे के आमने-सामने आ जाएंगे.
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