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सावधान : सब-मर्सिबल का पानी भी कर सकता है बीमार

यूपी के शहरों में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता चुनौती बन गई है. यहां के सुदूर जिलों में ही नहीं राजधानी का सिस्टम ही चोक चल रहा है. पाइप लाइन से घरों में पहुंच रहे पानी में जहां जांच में क्लोरीन गायब मिल रही है. वहीं सीवर लीकेज (Sewer leakage) से सबमर्सिबल (Submersible) का पानी भी घातक हो गया है. यह खुलासा राज्य स्वास्थ्य संस्थान की रिपोर्ट से हुआ.

समरसेबल पंप
समरसेबल पंप

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Published : Sep 16, 2021, 9:22 AM IST

लखनऊ :राजधानीवासियों की सेहत पर दूषित पानी भारी पड़ रहा है. यहां हर वर्ष कई मोहल्लों के लोग बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं. इस वर्ष के जुलाई-अगस्त माह में ही बालू अड्डा, नटखेड़ा, फैजुल्लागंज में कई बच्चे और बुजुर्ग बीमारी की चपेट में आ गए. कुछ की जान भी चली गई. यहां पाइप लाइन से हो रही पानी की आपूर्ति में जहां क्लोरीन गायब मिली. वहीं सीवर चोक होने से पानी में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया भी मिला. अब सबमर्सिबल का पानी भी सुरक्षित नहीं रह गया. शहर में वर्षों पुरानी पड़ी सीवर लाइनें जर्जर हो गई हैं. इसमें लीकेज से भूजल भी दूषित हो रहा है. वहीं घरों में बने सीवर टैंक भी भूजल खराब कर रहे हैं. ऐसे में सब मर्सिबल का पानी भी ज्यादा सुरक्षित नहीं रह गया है. राज्य स्वास्थ्य संस्थान की एडिशनल डायरेक्टर डॉ सुषमा सिंह के मुताबिक लैब में अगस्त में पानी के नमूने टेस्ट किए गए. इसमें सबमर्सिबल के पानी में नाइट्रेट पाया गया. यह सीवर के मिलने से हुआ. नाइट्रेट सेहत के लिए घातक है.


इन इलाकों में जांच गया पानी

राज्य स्वास्थ्य संस्थान की लैब में अप्रैल में 196 सैम्पल, मई में 202, जून में 295, जुलाई में 311, अगस्त में 329, टेस्ट किए गए. अगस्त में लखनऊ के सैम्पल फेल पाए गए. इसमें बालू अड्डा नाइट्रेट (सीवेज पॉल्यूशन) व कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाया गया. इसमें सबमर्सिबल का पानी बालू अड्डा, तेलीबाग, महानगर, पांडेय टोला, आजाद नगर इलाके का गड़बड़ मिला. इस पानी में नाइट्रेट पाया गया. यह सब मर्सिबल लोगों ने घर व सड़क किनारे लगवाए थे. वहीं जलकल व हेल्थ टीम के ओटी टेस्ट में तमाम सैम्पल फेल हो चुके हैं.


30 रुपये में कराएं पानी का टेस्ट

डॉ. सुषमा के मुताबिक सब मर्सिबल के पानी को बेफिक्र होकर न पिएं. इसका साल में एक बार टेस्ट अवश्य करा लें. संस्थान में 30 रुपये की रसीद कटवानी होगी. इसके बाद एक स्टरलाइज किट मिलेगी. इसमें पानी का सैम्पल लाकर जमा करना होगा. सात से आठ दिन में टेस्ट की रिपोर्ट मिल जाएगी. इस दौरान पानी में कोलीफॉर्म-ईकोलाई बैक्टीरिया, टोटल हार्ड नेस, टोटल डिजाल्व क्लोराइड, नाइट्राइट, नाइट्रेट, फ्लोराइड, क्लोरीन समेत 15 पैरामीटर की जांच की जाती है.


यह हो रही हैं बीमारियां, 7.8 लाख लोग गंवा रहे जान

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पेयजल में नाइट्रेट की अधिकता का सर्वाधिक दुष्प्रभाव छोटे बच्चों को झेलना पड़ता है. इससे बच्चों में 'ब्लू बेबी' उर्फ नीलापन रोग हो जाता है. इसमें बच्चे के पाचन व श्वसनतंत्र में दिक्कत आती है. आंतों के कैंसर का खतरा होता है. यहां तक कि ब्रेन डैमेज या मौत तक हो सकती है. यह शरीर में ऑक्सीजन को विभिन्न अंगों तक लाने-ले जाने का काम करने वाले हिमोग्लोबिन का स्वरूप भी बिगाड़ देता है. लिहाजा ऑक्सीजन उत्तकों तक नहीं पहुंच पाती. हार्मोनल गड़बड़ी भी हो जाती है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में 7.8 लाख लोग प्रदूषित पानी व गंदगी से बीमारियों से मरते हैं.

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