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Civil Services Exam की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित हो रही देव भाषा 'संस्कृत' - सिविल सर्विसेज की परीक्षा

संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार की पहल रंग ला रही है. संस्कृत के एक विषय में चुनने वाले सिविल सेवा (Civil Services Exam) प्रतिभागियों की संख्या में काफी वृद्धि देखी जा रही है. जिसके बाद अब जम्मू-कश्मीर, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के विद्यार्थी भी संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए संस्कृत संस्थान से संपर्क कर रहे हैं.

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Published : Jan 25, 2023, 3:31 PM IST

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लखनऊ : देव भाषा संस्कृत को रोजगार से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अनूठी पहल की गई है. संस्कृत विषय को वैकल्पिक विषय के रूप में लेकर सिविल सेवाओं की तैयारी कराई गई तो अभ्यर्थियों के अच्छे परिणाम सामने आए हैं. अच्छे परिणाम से उत्साहित संस्कृत संस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं के अनुभव रखने वाले शिक्षकों का पैनल बनाकर कोचिंग की व्यवस्था शुरू की है. दिसंबर 2019 से शुरू हुए इस योजना के बाद अब तक 9 परीक्षार्थी प्रशासनिक सेवा में और अन्य सेवाओं, जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर इत्यादि पदों पर चयनित हो चुके हैं.

चयनित परीक्षार्थी

सिविल सर्विसेज की परीक्षा में आमतौर पर तैयारी करने वाले प्रतियोगी अंग्रेजी व हिंदी विषय को चुनते हैं. इनकी संख्या क्योंकि बहुत ज्यादा होती है, इसलिए प्रतियोगिता भी कड़ी होती है. संस्कृत भाषा में क्योंकि प्रतियोगियों की संख्या कम है, इसलिए उपयोगिता भी आसान है. संस्कृत विषय को लेकर सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर रहे डॉ. शीलवंत सिंह ने बताया कि 'सिविल सेवा की कोचिंग देने से पहले पूरी गंभीरता से इसकी तैयारी की गई. संस्कृत साहित्य की पाठ्य सामग्री श्रेष्ठ जानकारों की देखरेख में तैयार की गई. जिससे कोचिंग में आ रहे अभ्यर्थियों को इसे बेहतर से समझने में आसानी हो सके. पिछले 20 वर्षों में सिविल सेवा की परीक्षा में संस्कृत साहित्य से पूछे गए सवालों को उनके हल के साथ प्रतियोगियों को दिया गया. इससे परीक्षा देने वाले शुरू में ही समझ गए कि वह किस तरह से तैयारी करें कि सफलता आसानी से प्राप्त हो. संस्कृत संस्थान की ओर से यह स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराया जाता है.'

चयनित परीक्षार्थी

उन्होंने बताया कि 'प्रतियोगियों का सप्ताहिक टेस्ट लिया जाता है. मुख्य परीक्षा के लिए उनके लेखन कौशल को विकसित किया जाता है. सिविल सेवा में कार्यरत लोगों को बुलाकर उनके साथ बच्चों का सत्र आयोजित किया जाता है, ताकि वह उनके अनुभव को जानकर अपनी तैयारी पुख्ता कर सकें. संस्कृत विषय के साथ तैयारी करने वालों को एहसास कराया जाता है कि सिविल सेवा में पास कर लेना उतना मुश्किल नहीं है, जितना उनको लगता है. इसका नतीजा यह है कि 9 प्रतियोगी प्रदेश के सर्वोच्च रैंक हासिल करने में सफल रहे हैं.' उन्होंने बताया कि 'संस्थान से कोचिंग करके निकले विद्यार्थी डिप्टी कलेक्टर और डिप्टी एसपी पद पर चयनित हुए हैं. इसके साथ-साथ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अन्य परीक्षा में 12 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है. साल 2022 की संघ और राज्य सिविल सेवा परीक्षा में संस्कृत विषय को लेकर 15 प्रतियोगी मुख्य परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.' शीलवंत सिंह ने बताया कि 'संस्कृत भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में लेकर सिविल सेवा की तैयारी करने वाले प्रतिभागियों की सफलता को देखकर अब जम्मू-कश्मीर, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के विद्यार्थी भी संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान से संपर्क कर रहे हैं.'

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने बताया कि 'संस्कृत भाषा को रोजगार उन्मुख बनाने, प्रशासन में सहभागिता सुनिश्चित करने के साथ आज के युवा वर्ग को संस्कृत भाषा से जोड़ने, रूचि पैदा करने के उद्देश्य से निःशुल्क सिविल सेवा एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम योजना की रूप रेखा तैयार की गई. इसके अन्तर्गत अभ्यर्थियों को 10 माह के सघन कोचिंग कार्यक्रम में प्रारम्भिक सह मुख्य परीक्षा की तैयारी करायी जाती है. 10 माह के सत्र को कुल तीन भागों विभाजित किया गया है, प्रथम चार माह में आधारभूत अध्ययन के साथ प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन और संस्कृत साहित्य के विषय का पठन-पाठन होता है. द्वितीय चरण जो चार माह का होता है उसमें मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम पर फोकस करते हुए छात्रों को पढ़ाया जाता है. इसके साथ ही लेखन कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इसके अलावा साप्ताहिक राइटिंग स्किल के साथ विषयों को आपस में इन्टरकनेक्ट कैसे करें और उत्तर लेखन के विभिन्न पैरामीटर पर दक्षता आधारित विशेष कक्षा भी होती है. कार्यक्रम के तीसरे चरण में प्रारम्भिक परीक्षा पर आधारित कक्षाएं होती हैं, जिसमें सप्ताह में दो दिन फुल माॅक टेस्ट कराए जाते है. 10 माह के प्रशिक्षण के दौरान नियमित कक्षा टेस्ट आयोजित किया जाता है, जिसमें अभ्यर्थियों को प्राप्त होने वाले अंकों और उनकी टेस्ट परफर्मेन्स का मूल्यांकन किया जाता है ताकि अभ्यर्थियों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहे.'


निदेशक ने बताया कि 'तैयारी के साथ तीन हजार की स्कॉलरशिप भी दी जाती है. कोचिंग के दौरान छात्रों को 75 प्रतिशत कक्षा की उपस्थिति और उनकी मासिक प्रगति रिपोर्ट के आधार पर प्रतिमाह तीन हजार रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है.' उन्होंने बताया कि 'अभी नवंबर में बैच शुरू हुआ है. कोर्स पूरा होने के बाद हम नए बैच के चयन के लिए स्क्रीनिंग शुरू करते हैं. इसके लिए सबसे पहले विज्ञापन निकाला जाता है. इसके बाद इच्छुक छात्र www.upsscivil.in और www.upsanskritsansthanam.in पर ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं.'

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