छात्र शिवम से बातचीत करते संवाददाता श्यामचंद्र सिंह. लखनऊ:दुनिया में कार के रफ्तार के दीवाने बहुत से लोग हैं और कुछ दीवाने ऐसे होते हैं जो अपने सपने को जीने के लिए किसी भी हद तक जाने से परहेज नहीं करते. ऐसा ही एक सपना लखनऊ विश्वविद्यालय के कला एवं शिल्प महाविद्यालय के पढ़ने वाले एमवीए के छात्र ने भी देखा है. जिसकी बनाई हुई कार की चर्चा लखनऊ विश्वविद्यालय से निकलकर सोशल मीडिया तक छाया हुआ है. छात्र का सपना ऑटोमोबाइल दुनिया में कॅरिअर बनाने का था, लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण इस सपने को पूरा नहीं कर पाया. इसको पूरा करने के लिए उसने अपने हुनर को ताकत बनाया. छात्र दुनिया के विंटेज कारों में शामिल बुगाती टाइप 41 का मॉडल तैयार किया है, जिसे उसने विशेष थर्माकोल का प्रयोग कर बनाया है. कार के मॉडल को फाइनल टच देने के बाद आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षण के तहत इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) में शामिल कराने का प्रयास किया जा रहा है.
लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ रहे मूल रूप से कुशीनगर के रहने वाले शिवम सिंह पुत्र (Shivam Singh) जय प्रकाश यादव ने कला एवं शिल्प महाविद्यालय में बैचलर आफ विजुअल आर्ट्स (Bachelor of Visual Arts) में प्रवेश लिया था. इस समय वह मास्टर आफ विजुअल आर्ट्स प्रथम (Master of Visual Arts Pratham West) वेस्ट में मूर्ति कला की पढ़ाई (sculpture studies) कर रहा है. उसने अपने सपने को पूरा करने का रास्ता निकाला ऑटोमोबाइल कंपनी में काम को और उसने अपने हॉस्टल के रूम में बैठकर थर्माकोल के माध्यम से पूरा किया.
शिवम सिंह ने बताया कि ऑटोमोबाइल कंपनी में यह मॉडल तैयार करने का सपना था. लेकिन कुछ दिक्कत की वजह से वह इसे रियलिस्टिक स्कल्पचर में तैयार कर रहे हैं. इसी में कॅरिअर का रास्ता चुना है. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) के लिए दुनिया की सबसे बड़ी थर्माकोल विंटेज कार बनाने की कोशिश की है. इसके लिए आवेदन करना होगा. अगर लखनऊ विश्वविद्यालय से कुछ मदद मिलेगी तो आवेदन आसानी से हो जाएगा. शिवम सिंह ने बताया कि यह कार 20 फीट लंबी, 6 फीट ऊंची और 7 फीट चौड़ी है. जिसका कुल वजन 40 किलो के करीब है. इस मॉडल को तैयार करने के लिए 20 हजार का खर्च आया है. इसके लिए 38 दिनों की मेहनत लगी है.
शिवम के अनुसार बुगाती कंपनी ने वर्ष 1927 में बुगाती टाइप 41 (bugatti type 41) की केवल 7 कारें ही तैयार की थीं. जिसमें से मौजूदा समय मे केवल एक कार ही बची हुई है. यह मॉडल को हुबहू उसी की रिप्लिका है. विंटेज कार बुगाती टाइप 41 का मॉडल भारत सहित कई देशों में नहीं हैं. मौजूदा समय में लंदन के बुगाची म्यूजियम में यह मॉडल रखा हुआ है. 15 नवंबर को अपने हॉस्टल के कमरे में ही थर्माकोल से यह मॉडल बनाना शुरू किया था. जो दिसंबर लास्ट तक इसे तैयार करने की कोशिश है. अभी इसमें फाइनल टच देना बाकी है. एक बार काम पूरा होने के बाद इस कार को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू होगी. इसके लिए विश्वविद्यालय से मदद लेने की कोशिश है. कोशिश है कि 23 दिसंबर को कॉलेज के स्थापना दिवस तक यह कार पूरी हो जाए. जिससे कॉलेज में डिस्प्ले कर सकें. इसके अलावा जनवरी में प्रस्तावित दीक्षांत समारोह में भी यह कार का डिस्प्ले में लगाई जाएगी.
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