लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वित्तविहीन शिक्षकों का धरना लगातार जारी है. बीकेटी ( बक्शी का तालाब) तहसील के अंतर्गत वित्तविहीन विद्यालयों के प्रबंधक व प्रधानाचार्य पिछले एक सप्ताह से लगातार घर पर रहकर ही धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. बावजूद इसे सरकार द्वारा इनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है.
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा संघ का अनिश्चितकालीन धरना सातवें दिन भी जारी - financeless school
वित्तविहीन विद्यालय के प्रबंधकों का कहना है कि 'निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार कानून 2009' के तहत प्रत्येक विद्यालय को 25% सीटें प्री प्राइमरी व कक्षा एक के छात्रों के लिए सुरक्षित रखना होता है. इनका चयन सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है. शैक्षणिक वर्ष 2018-19 व 2020-21 की शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं की गई है.
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आपको बता दें कि वित्तविहीन विद्यालयों द्वारा तीन सूत्रीय मांग को लेकर धरना दिया जा रहा है. वित्तविहीन विद्यालय के प्रबंधकों का कहना है कि 'निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार कानून 2009' (Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009) के तहत प्रत्येक विद्यालय को 25% सीटें प्री प्राइमरी व कक्षा एक के छात्रों के लिए सुरक्षित रखना होता है. इनका चयन सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है. शैक्षणिक वर्ष 2018-19 व 2020-21 की शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं की गई है. सरकार द्वारा मार्च माह तक 5400 रुपये शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए विद्यालय के प्रबंधकों के खाते में जमा करना था एवं किताब यूनिफार्म के लिए ₹5000 रुपये अभिभावकों के खाते में जमा करना था.
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शिक्षकों का कहना है कि सरकार के ढुलमुल रवैये के चलते इन वित्तविहीन संस्थानों को शुल्क की प्रतिपूर्ति न किए जाने से विद्यालय के प्रबंधकों, प्रधानाचार्य व शिक्षकों के समक्ष आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है. चंद्रशेखर आजाद पब्लिक इंटर कॉलेज महोना के प्रबंधक ने बताया कि हम लोगों की तीन मांगे हैं. सरकार शुल्क प्रतिपूर्ति की बकाया धनराशि शीघ्र तहसील प्रबंधकों के खाते में डाली जाए, पुस्तक और यूनिफार्म के लिए बकाया धनराशि अभिभावकों के खातों में सरकार द्वारा जल्द से जल्द जमा कराई जाये. साथ ही विद्यालयों को एक जुलाई से नियमित खोला जाए. अन्यथा धरना और व्यापक रूप से किया जाएगा.