लखनऊ:आयुष डॉक्टरों को जनरल सर्जरी करने का अधिकार देने के फैसले के बाद से प्राइवेट डॉक्टरों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. सांकेतिक धरने के बाद देश भर के प्राइवेट डॉक्टर 24 घंटे की हड़ताल पर रहेंगे. इस दौरान ओपीडी समेत सभी सेवाएं बंद रहेंगी, केवल कोविड-19 के मरीजों का इलाज किया जाएगा.
आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कान-नाक, आंख समेत दर्जनों जनरल सर्जरी करने का अधिकार देने के बाद से एलोपैथिक डॉक्टरों में आक्रोश है. उनका कहना है कि वह अपना आधे से ज्यादा जीवन लोगों का इलाज करने के लिए पढ़ाई व प्रैक्टिस करने में निकाल देते हैं. बावजूद इसके जिन बीमारियों की सर्जरी करने के लिए हम सालों मेहनत करते हैं, उन मरीजों का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी. अचंभित और हैरान इन एलोपैथिक डॉक्टरों का कहना है कि वह जनता के साथ ऐसा खिलवाड़ नहीं होने देंगे. केंद्र सरकार को फैसला वापस लेने के लिए उन्होंने आंदोलन चलाने की ठान ली है.
हड़ताल से मरीजों पर कितना पड़ेगा असर
प्राइवेट डॉक्टरों की हड़ताल, आज बंद रहेंगे अस्पताल - आज बंद रहेंगे अस्पताल
आयुष डॉक्टरों को जनरल सर्जरी करने का अधिकार देने के फैसले के बाद से प्राइवेट डॉक्टरों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. सांकेतिक धरने के बाद देश भर के प्राइवेट डॉक्टर 24 घंटे की हड़ताल पर रहेंगे. इस दौरान ओपीडी समेत सभी सेवाएं बंद रहेंगी, केवल कोविड-19 के मरीजों का इलाज किया जाएगा. 11 दिसंबर की सुबह 6 बजे से लेकर 12 दिसंबर की सुबह 6 बजे तक डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे.
विशेषज्ञों का कहना है कि 6 महीने में जनरल सर्जरी सीख पाना मजाक है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर पीके जैन ने कहा कि जनता के साथ होने वाले मजाक के विरोध में 11 दिसंबर की सुबह 6 बजे से लेकर 12 दिसंबर की सुबह 6 बजे तक देश भर के डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे. हड़ताल के दौरान अस्पताल, क्लीनिक, पैथोलॉजी और सभी डायग्नोस्टिक सेंटर बंद रहेंगे. उन्होंने बताया कि लखनऊ में ही करीब 1500 डॉक्टर आईएमआई से जुड़े हुए हैं. रोजाना तकरीबन डॉक्टरों के जरिए 40 से 50 हजार मरीज का इलाज और उनकी जांच की जाती है. केंद्र सरकार के इस फैसले से इन लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
मरीजों के हित में नहीं है आयुर्वेदिक डॉक्टर को सर्जरी का अधिकार देना
आईएमआई के पूर्व अध्यक्ष डॉ पी के गुप्ता ने बताया कि आयुष और एलोपैथिक दो अलग-अलग विधाएं हैं. दोनों डॉक्टरों की अपनी अलग अलग भूमिकाएं होती हैं. केंद्र सरकार के इस फैसले को इलाज बताते हुए कहा है कि इन दोनों विधाओं को एक साथ मिलाने से घातक परिणाम मरीजों को भुगतने पड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस हंसने पर अंकुश नहीं लगाया गया तो एसोसिएशन बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर हो जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस आदेश से आम लोगों का चिकित्सा से भरोसा ही उठ जाएगा.