वायु प्रदूषण को लेकर भवन निर्माण के यूपी में बने कड़े नियम, नहीं किया पालन तो होगा एक्शन - वायु प्रदूषण
प्रदेश में वायु प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार काफी गंभीर है. शहरी क्षेत्रों में विभिन्न (Strict rules made for building construction) प्रकार की निर्माण गतिविधियों के कारण काफी प्रदूषण फैलता है. जिसको रोकने के लिए नए नियम बनाए गए हैं. इनका पालन न करने पर एक्शन भी लिया जाएगा.
लखनऊ : प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्सर्जित धूल एवं वायु प्रदूषण की प्रभावी (air pollution in UP) रोकथाम के लिए सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं. शहरी क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की निर्माण गतिविधियों के कारण उत्सर्जित धूल तथा वायु प्रदूषण के कारण वायु की गुणवत्ता एवं एअर क्वालिटी इंडेक्स पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके देखते हुए विश्व के कई देशों में प्रदूषण एक्सपोजर प्रबंधन के लिए रेगुलेटरी प्राविधान किए गए हैं, जिसके तहत बड़े निर्माण अब बिना बेरीकेटिंग ढके हुए नहीं किए जा सकेंगे. छोटे निर्माण में तिरपाल के जरिये निर्माणधीन भवन को ढका जाएगा. ऐसा न करने पर विकास प्राधिकरण, आवास विकास परिषद और जिला प्रशासन इसके खिलाफ एक्शन लेंगे.
आदेश
इन नियमों का करना होगा पालन
तिरपाल अथवा जूट की शीट से ढका जाए : जारी आदेशानुसार, ऐसे भवन, जिनकी ऊंचाई 70 मीटर या अधिक प्रस्तावित है, के निर्माण स्थल व भूखंड के चारों ओर 10.5 मी. ऊंचे व 70 मीटर से कम ऊंचाई के भवनों में निर्माण स्थल, भूखंड की चाहरदीवारी के साथ 7.5 मी. ऊंचाई की आड़ (बैरीकेड्स) लगाए जाएंगे. एक एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के लेआउट प्लांस के अन्तर्गत विकास एवं निर्माण में साइट के चारों ओर 10.5 मी. ऊंचाई व एक एकड़ से कम क्षेत्रफल के ले-आउट प्लांस में 7.5 मी. ऊंचाई की आड़ बैरीकेड्स लगाए जाएंगे. इसके अलावा भवन निर्माण की स्टेज को दृष्टिगत न रखते हुए निर्माण स्थल को चारों ओर से हरे तिरपाल अथवा जूट की शीट से ढका जाएगा. यदि निर्माण कार्य के दौरान कोई निर्माणाधीन भवन ढका हुआ नहीं पाया जाता है, तो सम्बन्धित विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, आवास एवं विकास परिषद, नियत प्राधिकारी द्वारा निर्माण कार्य को रोकेगा.
आदेश
स्प्रिंकलर सिस्टम कराया जाए स्थापित : इसके अलावा निर्माण स्थल पर स्प्रिंकलर सिस्टम अनिवार्य रूप से स्थापित कराया जाए और निर्माण के समय नियमित रूप से पानी का छिड़काव कराया जाए. साथ ही भवनों के ध्वस्तीकरण के समय भवन संरचना को समुचित रूप से ढकना सुनिश्चित किया जाए, जिससे कि वायु में धूल का प्रसार न होने पाए. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ट्रक, डम्पर व अन्य वाहनों की ओवरलोडिंग न हो, ताकि उनके आवागमन के समय रास्ते में धूल, मिट्टी, मलबा व निर्माण सामग्री का बिखराव न हो. निर्माण सामग्री को लाने व ले जाने वाले वाहनों के टायरों, बॉडी की भली-भांति सफाई एवं धुलाई की जाए. इसके अतिरिक्त निर्माण स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए जाएं, जिससे वाहनों की सफाई (पहियों की सफाई एवं धुलाई सहित) की मॉनीटरिंग की जा सके.
वायु प्रदूषण को लेकर भवन निर्माण के यूपी में बने कड़े नियम (फाइल फोटो)
निर्माण सामग्री पर हो पानी का छिड़काव : इसके साथ ही निर्माण सामग्री को निर्धारित स्थलों पर ढककर रखा जाए और उस पर पानी का छिड़काव किया जाए. इसके अतिरिक्त ढीली मिट्टी के ढेरों को गीली घास (Mulch) से भी ढका जा सकता है. निर्माण एवं ध्वस्तीकरण से जनित अपशिष्ट को निर्धारित स्थल तक ढककर ले जाया जाए तथा सड़कों के किनारे ऐसी सामग्री को अनियंत्रित रूप से संग्रहीत न किया जाये. निर्माण स्थल के आस-पास हरियाली बढ़ाई जाए, ताकि वायु जनित मृदाक्षरण (Wind erosion) से सुरक्षा हो सके. इसके अतिरिक्त वायुरोधक पेड़ों, झाड़ियों की कतार दीवार या स्कीन बनाई जा सकती है, जिससे उस क्षेत्र में वायु की गति धीमी होने से वायु में धूल कणों की मात्रा घटेगी. निर्माण एवं ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया में काफी मात्रा में मलबा उत्सर्जित होता है, जिसे कम करने के लिए विकास एवं निर्माण की प्रक्रिया को दक्ष बनाया जाना आवश्यक है और ऐसी तकनीकों के उपयोग को वरीयता दी जानी होगी, जो अपशिष्ट के न्यूनीकरण में मददगार हों तथा निर्माण सामग्रियों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित हो सके.