लखनऊ : राजधानी के परिवारिक न्यायालय में रोजाना 50 से 60 केस दर्ज होते हैं. ऐसे में रोजाना चार से छह केस ऐसे आ जाते हैं, जिनके तलाक के कारण काफी अलग होते हैं. छोटी-छोटी बातों पर शादीशुदा जोड़े अदालत तक पहुंच जाते हैं. परिवारिक न्यायालय की वकीलों का कहना है कि कोई भी झुकना नहीं चाहता. ईगो के कारण न जाने कितने रिश्ते यहां बर्बाद होते हैं. और सालों केस चलता रहता है और दोनों की जिंदगी अलग-अलग पटरी पर हो जाती है.
पारिवारिक न्यायालय में पहुंच रहे अजब-गजब केस. पारिवारिक न्यायालय में पहुंच रहे अजब-गजब केस. पारिवारिक न्यायालय में पहुंच रहे अजब-गजब केस
एक अन्य केस के पीड़ित पति ने बताया कि वह अपनी पत्नी से काफी ज्यादा परेशान है. उसने कहा कि व्यक्ति के पास जितना होना चाहिए उसी में खुश होना चाहिए, लेकिन पत्नी की डिमांड ज्यादा हैं. जिसे पूरा नहीं कर पाने की वजह से रोज घर में लड़ाई झगड़ा होता है. पति ने बतया कि वर्ष 2018 में शादी हुई थी. इसके बाद पत्नी महंगी महंगी चीजों की डिमांड करती है जो मैं पूरी नहीं कर पाता हूं तो लड़ाई झगड़ा होता है. पत्नी समझती नहीं है कितना पैसा मैं कहां से लाऊं. इन्हीं सब कारणों की वजह से न्यायालय में वर्ष 2020 में तलाक की अर्जी डाली थी. अभी केस चल रहा है.
पारिवारिक न्यायालय में पहुंच रहे अजब-गजब केस. पारिवारिक न्यायालय में पहुंच रहे अजब-गजब केस
पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि पारिवारिक न्यायालय में जितने भी केस आते हैं सब तलाक के आते हैं. सभी के कारण अलग-अलग होते हैं. फिलवक्त समय के साथ काफी कुछ बदलाव हुआ. पहले काफी केस पहले भी फाइल होते थे, लेकिन उनमें काउंसिलिंग आदि की व्यवस्था कम थी. अब काउंसिलिंग से कई जोड़ों की जिंदगी संवर जाती है. शादी से हटने के लिए केस भी एक साल के बाद ही होता है. लोग शादी करते हैं और एक हफ्ते बाद तलाक के लिए चले आते हैं. इसे म्यूच्यूअल डिवोर्स कहते हैं. कोई किसी से झुकना नहीं चाहता, लेकिन पहले हम काउंसिलिंग करते हैं. जब दोनों नहीं मानते हैं चीजों को नहीं समझते हैं तब उसके बाद उन्हें तलाक दिलवाते हैं.
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Family Court Lucknow में टूटते ही नहीं बल्कि जुड़ते भी हैं रिश्ते, अधिवक्ताओं का होता है अहम रोल