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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः बिना रुके और थके विजयपथ पर निरंतर आगे बढ़ रही 'इंस्पेक्टर रंजना' - महिला इंस्पेक्टर रंजना गुप्ता

एक तरफ जहां पूरा देश अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ में महिला इंस्पेक्टर रंजना गुप्ता ओलंपिक में जाने के सपने देख रही हैं. आइए जानते हैं एक महिला की ऐसी संघर्षगाथा, जो बिना रुके और थके निरंतर आगे बढ़ रही है.

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल.

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Published : Mar 9, 2020, 6:28 AM IST

लखनऊः'नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में...पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में..' जयशंकर प्रसाद की लिखी यह पंक्तियां नारी के प्रति श्रद्धा और विश्वास को बढ़ाती हैं. साथ ही नारी की इक्षाशक्ति और हौंसले को भी बताती है. न जाने ऐसी कितनी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपने हौसले और विश्वास से जिंदगी के पथ में मिलने वाली कठिनाइयों से कभी हार नहीं मानी और न ही कभी विचलित हुईं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल.

देश के कोने-कोने में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. इस खास मौके पर कई जगह कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां महिलाओं ने अपने अनूठे किस्सों को साझा किया. एक तरफ जहां लोग महिला दिवस मनाकर महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे थे तो वहीं राजधानी की एक ऐसी महिला इंस्पेक्टर सामने आईं हैं जो हर किसी से मदद मांग रही हैं. मदद भी ऐसी जिसमें देश के प्रति कुछ करने और उसका गौरव बढ़ाने की बात हो. महिला इंस्पेक्टर रंजना गुप्ता ओलंपिक में जाकर शूटिंग में मेडल जीतना चाहती हैं.

'इच्छा शाक्ति हमेशा जीत का मार्ग आसान करती है...'
हौंसलों के दम पर मंजिल हासिल करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस की महिला इंस्पेक्टर रंजना गुप्ता एक मामूली परिवार से ताल्लूक रखती है. बचपन से ही उन्हें शूटिंग के प्रति बहुत रुझान था, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई मेडल जीते. इस जीत में उनका हौसला और इच्छा शाक्ति हमेशा उनकी जीत का मार्ग आसान करती रही, वह गरीब थी मगर गरीबी उनके हौसले को डिगा न सकी. दिक्कतें सामने आती रही मगर वह आगे बढ़ती रही.

'खुली आंखों से देखे हुए सपनों को हकीकत में तब्दील करना...'
इंस्पेक्टर रंजना का सफर अब आगे बढ़ चुका था. खुली आंखों से देखे हुए सपनों को हकीकत में तब्दील करने के लिए वह निरंतर जुटी रहीं. ओलंपिक की तैयारियों के लिए उन्होंने तकरीबन 20 से 25 लाख रुपये की बंदूकें और कारतूसें खरीदकर प्रैक्टिस करने लगी, मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था. अचानक एक दिन उनके घर में आग लग गई और घर में रखी बंदूकें और कारतूस जलकर राख हो गए. ऐसा लगा कि जैसे उनके सपने भी जल गए. मगर इंस्पेक्टर रंजना ने हार नहीं मानी, अपने हौंसलों और हिम्मत से एक बार फिर वो ओलंपिक की तैयारियों में जुट गई.

'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती...'
'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती...कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...' दिल में जज्बा रखने वाली इंस्पेक्टर रंजना के सामने बहुत सारी मुश्किलें थी. खुली आंखों से सपने देखने वाली रंजना के पास अपनी शूटिंग रायफल नहीं थी, लेकिन उन्होंने इस चीज को अपने सपनों पर हावी नहीं होने दिया और दोस्तों से बंदूके मांगकर सपनों को पूरा करने में लग गई. खुद पर भरोसा रखने वाली रंजना का सपना है कि वह ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें और मेडल जीत कर लाए. अपनी जिद व विश्वास पर वह एक दिन जरूर यह मुकाम हासिल करेंगी.

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