लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र और पूर्व हॉकी खिलाड़ी ने एक अनोखी पहल की है. जिससे वह आज स्लम इलाकों के बच्चों के लिए मसीहा बने हुए हैं. अब तक स्लम्स इलाके में रहने वाले लगभग 40 बच्चों को हॉकी खेल के लिए प्रेरित कर चुके हैं. उनका मानना है कि किसी कारण वश वह खेल से दूर रहे, लेकिन कहीं न कहीं अपने सिखाए हुए बच्चों के माध्यम से उन ऊचाईयों को छूना चाहते हैं, जो उनके लिए सपना बनकर रह गई थी.
गौरव अवस्थी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि वह लखनऊ के रहने वाले हूैं. 2012 में लविवि में अपनी पढ़ाई करने के लिए आए थे. 2020 में उन्होंने MSW किया और अब phd की तैयारी कर रहें. गौरव ने बताया, वह सब जूनियर नेशनल, अंडर 21 स्टेट और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की बोर्डिंग स्कीम के लिए 3 साल तक खेल चुके हैं. इसके अलावा एक साल में लखनऊ विवि की ओर से कप्तान के तौर पर भी कई मैच खेल चुके हैं.
'एक और द्रोणाचार्य' किताब लिखी
गौरव ने बताया, मेरे पास किसी तरह का सोर्स नहीं था, जिसके चलते मुझे आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाया. मेरे सपने अधूरे रह गए हैं. उन सपनों पर आधिरित मैंने एक किताब भी लिखी है. उस किताब का नाम 'एक और द्रोणाचार्य' है. गौरव बताते हैं कि अब इन बच्चों के माध्यम से वह अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि लखनऊ विवि के एथलेटिक्स ग्राउंड में हमने एक हॉकी की शुरुआत की है. उन्होंने कहा, इस लविवि के ग्राउंड ने देश को कई खिलाड़ी दिए हैं, जो अपने आप में एक इतिहास रहा है.
दो सिखाये हुए विद्यार्थियों का टाटा एकेडमी में हुआ चयन
गौरव ने बताया, लखनऊ विवि ग्राउंड में उन्हें लगभग 2 साल पूरे हो चुके हैं. ग्राउंड में खेलने आने वाले बच्चों में ज्यादातर बच्चों के पिता होटल में काम करते हैं, कुछ के पिता माली है. सभी बच्चों के पिता बड़ी मुश्किलों से उनका पालन-पोषण करते हैं. गौरव ने बताया, हमारे पास ऐसे परिवार के लगभग 40 बच्चे हैं, जो हॉकी खेल की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमारे दो सिखाये हुए विद्यार्थी आकाश यादव, गरिमा मौर्य का टाटा एकेडमी में सलेक्शन भी हुआ है.