लखनऊ : पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी सचिव रहे अरमान खान के सहयोगी समीउल को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है. समीउल पूर्व में गिरफ्तार हो चुके अरमान के साथ मिल कर बेरोजगार युवकों को नौकरी के नाम पर ठगता था, यही नहीं तत्कालीन मंत्री के कार्यालय में फर्जी इंटरव्यू कर नियुक्ति पत्र भी देता था. एसटीएफ अब तक गैंग के 5 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.
Lucknow News : पूर्व मंत्री के निजी सचिव रहे अरमान के सहयोगी समेत 5 ठगों को STF ने किया गिरफ्तार - समीउल को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया
पूर्व मंत्री के निजी सचिव अरमान खान को यूपी एसटीएफ (Lucknow News) ने कई महीनों पहले ही गिरफ्तार किया था. अरमान खान और उसके साथियों पर बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलवाने के नाम पर करोड़ों रुपये ठगने का आरोप है.
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एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम ने बताया कि 'साल 2022 को हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. जिसमें आरोप था कि योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी सचिव रहे अरमान खान ने दर्जनों बेरोजगार युवकों से नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी की थी. इस मामले में सरगना अरमान खान व उसके 4 साथी फैजी, असगर, विशाल, अमित को पूर्व में ही गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में एक अन्य आरोपी बस्ती निवासी समीउल हक अंसारी फरार था, जिसे शुक्रवार को बस्ती से गिरफ्तार किया गया है.'
ठगी करने वाले 4 गिरफ्तार : वहीं एसटीएफ ने सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर लखनऊ से 4 जालसाजों को गिरफ्तार किया है. ये सभी आरोपी भोले भाले बेरोजगार युवाओं को रेलवे, डाक विभाग और खाद्य विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगते थे. एसएसपी एसटीएफ के मुताबिक, गिरफ्तार हुए आरोपियों में वाराणसी निवासी राहुल सिंह, बाराबंकी के पवन वर्मा, मऊ निवासी अजीत सिंह, लखनऊ के अंकित श्रीवास्तव शामिल हैं.
पूछताछ में सरगना राहुल सिंह ने बताया कि 'पवन वर्मा, रेलवे डाक विभाग में रेलवे मेल सर्विसेस में जीपीओ में पोस्ट है. यह आकांक्षा श्रीवास्तव और मोहित खरे, जो इस गिरोह के सदस्य हैं, के माध्यम से फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार कराता है. रेलवे और डाक विभाग से सम्बन्धित यदि कोई व्यक्ति आता है तो उनसे बातचीत करने के लिए पवन वर्मा को उस विभाग का बड़ा अधिकारी बनाकर डीलिंग करता था. खाद्य निगम और आईआरसीटीसी विभाग में भर्ती से सम्बन्धित यदि कोई व्यक्ति आता था तो उसे बस्ती निवासी आनन्द मिश्रा डील करता था तथा एसबीआई, सीआईएसएफ विभाग में भर्ती से सम्बन्धित कार्य के लिए बरेली निवासी कुलवीर सिंहानिया व राजस्थान निवासी महिपाल डील करते थे. यह सभी लोग सरकारी नौकरी लगाने के नाम पर 5 लाख से 20 लाख रुपये प्रति व्यक्ति लेते थे. रुपये एकत्रित हो जाने के बाद समीर जो झारखंड का निवासी है और इस गिरोह का मुख्य सरगना से सम्पर्क कर इन रुपयों को आपस में बराबर-बराबर बांट लेते थे, यह ठगी का कार्य यह लोग काफी समय से कर रहे हैं.
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