लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अलाया अपार्टमेंट गिरने के मामले के अभियुक्त फहद याज़दान को बड़ी राहत देते हुए, उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फहद याजदान की याचिका पर पारित किया है. याचिका में याची ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती दी है. न्यायालय ने याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
लखनऊ के हजरतगंज इलाके में बीते दिनों अलाया अपार्टमेंट ढह गया था. जिसके बाद करीब 20 घंटे से ज्यादा रेस्क्यू कराया गया था. फंसे लोगों को निकालने के लिए पोकलैंड से इमारत की छत काटी गई थी. घटनास्थल पर डीजीपी समेत तमाम अधिकारी मौजूद थे. वहीं अपार्टमेंट ढहने के मामले में नवाजिश मंजूर, मोहम्मत तारिक और यजदान बिल्डर्स के मालिका फहद यजदान के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.
अलाया अपार्टमेंट में रेस्क्यू के दौरान इस बात की समस्या आ रही थी कि उन्हें यह पता नहीं चल रहा था कि मलबे में किस जगह लोग फंसे हुए हैं. अंदर फंसे लोगों से टीम का संपर्क नहीं हो पा रहा था. ऐसे में प्रशासन ने रोबोटिक्स एक्सपर्ट मिलिंद राज को बुलाया गया था. मिलिंद राज ने बताया था कि वे जैसे ही घटना स्थल पहुंचे तो उन्हें समझ में आ गया कि उन्हें क्या करना है. वे वापस अपनी लैब गए और 3 घंटे मेहनत कर एक हाई सेंसिटिव ऑडियो रिसीवर बनाया था, जो एक हल्की सी भी आवाज को रिसीव कर लोकेशन का पता लगा सकती थी. वे तत्काल उसे लेकर घटनास्थल पर पहुंचे थे. मिलिंद ने बताया था कि उन्होंने अंदर फंसे लोगों से आवाज करने के लिए कहा और जैसे ही उनके ऑडियो रिसीवर ने आवाज रिसीव की उनकी लोकेशन मिलने लगी थी. कई लोग बुरी तरह फंसे हुए थे.
मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा था कि हजरतगंज के वजीरगंज हसन रोड पर बने अलाया अपार्टमेंट के गिरने पर उसके भवन मालिक मोहम्मद तारीक, नवाज़िश शाहिद तथा साथ ही उस अपार्टमेंट के बनाए गए बिल्डर्स याजदान पर तत्काल मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे. मंडलायुक्त ने लखनऊ शहर में याजदान बिल्डर्स द्वारा बनाई गई अन्य बिल्डिंगों का चिन्हांकन करके जांच करने व तथा अवैध निर्माण की स्थिति मे ध्वस्त करने के भी निर्देश दिए थे.
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