लखनऊः आगामी 22 फरवरी को योगी सरकार अपने इस कार्यकाल का अंतिम और पांचवां बजट पेश करने वाली है. वित्तीय वर्ष 2020-21 की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश सरकार ने युवाओं के रोजगार सर्जन और प्लेसमेंट हब के लिए 1200 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था. एक लाख युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए हर जिले में युवा हब बनाने की भी घोषणा की गई थी. 1200 करोड़ रुपये की धनराशि युवा हब के माध्यम से खर्च किए जाने को भी कहा गया था. यूपी सरकार युवाओं के लिए रोजगार सृजन करने में कितना सफल रही. आंकड़ों के साथ पढ़िए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट...
हालांकि सूबे में श्रमिकों और पढ़े-लिखो बेरोजगार को रोजगार मुहैया कराने के मामले में योगी सरकार की ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ (ओडीओपी) गेम चेंजर मानी जा रही है. राज्य के हर जिले में आत्मनिर्भर पैकेज के जरिये लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के लिए मदद मिली.
युवाओं को नौकरी और सेवायोजन के काम को अभियान का रूप देते हुए योगी सरकार मिशन रोजगार का आगाज किया है. मुख्यमंत्री ने नवम्बर 2020 से मार्च 2021 तक प्रदेश में 50 लाख युवाओं को सेवायोजित करने का लक्ष्य तय किया है. मनरेगा से अलग इस में सरकारी विभागों, परिषद, निगमों में खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया तो पूरी होगी ही, साथ ही सरकारी प्रयासों से निजी क्षेत्र में अथवा स्वरोजगार के नए अवसर भी सृजित किए जाने की बात कही गई है.
बजट में मध्यमवर्गीय व गरीब परिवार का रखा जाए विशेष ध्यान
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे ज्ञानेश पांडे बताते हैं कि अगर हम पिछले साल से लेकर अब तक की तुलना करें तो खासकर जो यह प्रतियोगी वर्ग रहा है और नौकरी के लिए जो वर्ग तैयारी कर रहा है उसके लिए रोजगार न के बराबर हुआ. कोरोना काल के चलते बहुत ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हुई जिसमें शिक्षा के माध्यम से रोजगार सृजन नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि हमको नहीं लगता कि सरकार ने बजट में जो प्रावधान किया था, उसमें वह ज्यादा कुछ खर्च कर पाई होगी. कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है लेकिन, स्थितियां सामान्य हुई हैं. सरकार का यह अंतिम वर्ष चल रहा है. कम से कम सरकार को इस बजट में सबसे ज्यादा ध्यान प्रतियोगी वर्ग है जो शिक्षा के माध्यम से नौकरी की तैयारी कर रहा है, उसका सरकार को विशेष ध्यान रखना चाहिए. सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट यह है कि शिक्षा के माध्यम से रोजगार सृजित किए जाएं. साथ ही मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए भी बेहतर प्रावधान किया जाए.
वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 का आंकड़ा (करियर काउंसलिंग, प्रतिभाग करने वालों की संख्या)
वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 का आंकड़ा.
9 फरवरी 2021 तक सेवायोजन पोर्टल पर पंजीकृत अभ्यर्थियों की संख्या-36743729
फरवरी तक सेवायोजन पोर्टल पर पंजीकृत नियोजकों की संख्या-19326
प्रवासी श्रमिकों की संख्या-3784255
सेवायोजन विभाग द्वारा रोजगार प्राप्त अभ्यर्थियों का सेवायोजन पोर्टल पर अंकन-948104
कौशल प्रशिक्षण योजनाओं के अंतर्गत सेवायोजित युवाओं का विवरण
शिक्षित होने के बावजूद भटक रहे हैं युवा
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले पवन कुमार सिंह का कहना है कि आने वाले बजट से युवाओं को काफी उम्मीद है. कोरोना महामारी के चलते रोजगार की स्थितियां बहुत ही डामाडोल रही. उत्तर प्रदेश में युवाओं की संख्या बहुत ही ज्यादा है और युवाओं में वह हैं जो ग्रेजुएट हैं व पीजी हैं, ऐसे युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. कुछ ऐसे भी हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में उनकी उम्र 35 वर्ष खाली तैयारी करने में ही लग जाती है। तो मैं सरकार से और इस बजट से यह उम्मीद रखता हूं कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ऐसा करें कि शिक्षा के क्षेत्र में ही रोजगार का सृजन हो सके.
90 हजार बच्चों को दिया गया रोजगार
कौशल विकास मिशन के निदेशक कुणाल सिल्कू ने बताया कि हम सब जान रहे हैं कि इस वर्ष कोविड-19 के कारण हर सेक्टर प्रभावित रहा. बड़ी संख्या में प्रवासी भी लौट कर आए. काफी दिन तक लॉकडाउन से इंडस्ट्री भी बंद रही हैं, इसके बाद भी हमारे विभाग ने अच्छा काम किया है. अभी तक रोजगार मेलों के माध्यम से ही सेवायोजन विभाग में 90 हजार बच्चों को रोजगार दिया है. अगर हम बीते साल से इसकी तुलना करें तो बीते साल एक लाख 30 हजार बच्चों की जॉब लगी थी. जबकि, हमने पूरे साल काम किया था.
उन्होंने कहा कि बीते तीन चार महीने के काम में ही 90 हजार युवाओं को नौकरी दी गई है. मुझे पूरी उम्मीद है कि इस साल के खत्म होते-होते हम पिछले साल की फिगर को टच जरूर कर लेंगे. इसके साथ-साथ कौशल ट्रेनिंग के माध्यम से बच्चों को जॉब लगाई जा रही है. वह एक अलग फीगर है. हमारे यहां स्किल डेवलपमेंट में भी अच्छा काम हुआ है. इसके माध्यम से 70 हजार बच्चों की जॉब लगी है. यह 70 हजार बच्चों की संख्या 90 हजार रोजगार पाने वालों से अलग है. कंपनियों की बात की जाए तो हमारे यहां रोजगार मेले जिलेवार हो रहे हैं. जिले में हम लोग वृहत मेले का भी आयोजन करते हैं. इस मेले में 50 से लेकर 100 कंपनियां प्रतिभाग करती हैं. इसके अलावा भी छोटे मेले चलते हैं जिसमें 10 से 20 तक कंपनियां प्रतिभाग करती हैं.