लखनऊ : उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री और भाजपा नेता असीम अरुण ने आगामी लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के साथ भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन को लेकर सीधे इंकार ना करते हुए कहा कि 'केंद्रीय नेतृत्व इस पर फैसला करेगा. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास सहयोगियों की कोई कमी नहीं है, फिर भी अगर कोई बड़ा सहयोगी बढ़ाया जाना है तो फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा. असीम अरुण ने कहा कि हमारी पार्टी अनुसूचित जाति के वोटरों को अपना वोट बैंक नहीं मानती है. हम सबके साथ में विश्वास रखने वाले लोग हैं. लगातार हमारे साथ अनुसूचित जनजाति के लोग जुड़ते जा रहे हैं. इसी वजह से हमको इतनी बड़ी जीत लगातार मिल रही है.'
भारतीय जनता पार्टी अवध क्षेत्र का अनुसूचित जाति सम्मेलन शुक्रवार को आशियाना स्थित स्मृति उपवन में आयोजित किया जाएगा. इस दौरान मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे. इसके अलावा भाजपा के सभी अनुसूचित जाति से जुड़े मंत्री और केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे. भाजपा करीब एक लाख कार्यकर्ताओं के आने का दावा कर रही है. इसी संबंध में मीडिया को जानकारी देने के लिए असीम अरुण गुरुवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय आए हुए थे. इस दौरान ईटीवी भारत से खास बातचीत असीम अरुण ने की. उन्होंने कहा कि 'हमारे दलित सम्मेलन में भारी संख्या में समर्थक जमा होंगे और हम इसी तरह के सम्मेलन महिलाओं के लिए भी आयोजित कर रहे हैं. सभी समाज भारतीय जनता पार्टी से लगातार जुड़ रहे हैं, क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सबका साथ सबका विश्वास के फार्मूले पर चल रही है, इसलिए हमारा समर्थन लगातार बढ़ रहा है और बड़ी जीत हासिल हो रही है.
उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी लोकसभा की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करके केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार एक बार फिर से बनाएगी. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता इस बार रिकाॅर्ड बनाने जा रही है कि वह भाजपा को सर्वाधिक सीटें देगी. बहुजन समाज पार्टी पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह लगातार भारतीय जनता पार्टी का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर रही है और चुनाव में कुछ ऐसे प्रत्याशी खड़ा करती है, जिससे समाजवादी पार्टी को नुकसान होता है. ऐसे में क्या भारतीय जनता पार्टी औपचारिक तौर से उनके गठबंधन का साथी बन सकती है, इस संबंध में असीम अरुण ने कहा कि यह विषय केंद्रीय नेतृत्व का है. वह फैसला कर सकता है कि किसी को गठबंधन का नया साथी बनना है. फिलहाल एनडीए के गठबंधन में बहुत बड़े-बड़े दल शामिल हैं जो कि पर्याप्त हैं.'