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LDA के पूर्व वीसी के खिलाफ चल रही जांच को लेकर शासन करेगा फैसला - लखनऊ खबर

एलडीए को वित्तीय क्षति पहुंचाने के आरोप में पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह के खिलाफ प्रकरण की जांच चल रही है. शासन ने इस मामले को लेकर जांच समिति की बैठक बुलाई. वहीं अब पूर्व वीसी के खिलाफ चल रही जांच का फैसला शासन करेगा.

LDA के पूर्व वीसी के खिलाफ चल रही जांच को लेकर शासन करेगा फैसला
LDA के पूर्व वीसी के खिलाफ चल रही जांच को लेकर शासन करेगा फैसला

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Published : Dec 4, 2020, 2:56 AM IST

लखनऊ: एलडीए को वित्तीय क्षति पहुंचाने के आरोप में पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह के खिलाफ प्रकरण की जांच चल रही है. शासन ने इस मामले को लेकर जांच समिति की बैठक बुलाई. प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर समिति फैसला करेगी. पूर्व वीसी ने प्राधिकरण में रहते हुए वित्तीय क्षति की अथवा नहीं की है. यह रिपोर्ट प्राधिकरण से मांगी गई है.

प्राधिकरण की रिपोर्ट पर फैसला
हालांकि प्राधिकरण की ओर से यह बताया गया है कि कोई वित्तीय क्षति नहीं हुई है. लेकिन ऐसे कई मामलों की शिकायत की गई है, जिनमें प्राधिकरण को राजस्व की हानि हुई है. शासन ने कहा कि एलडीए अधिकारी तय करें कि वित्तीय क्षति हुई या नहीं. यदि क्षति हुई है तो कितने का नुकसान हुआ. यह सूचना तत्काल मांगी गई है. दो दिन बाद बैठक में पूर्व वीसी पर लगे आरोपों को लेकर फैसला होगा.

एफडी की रकम की फिजूलखर्ची
सत्येन्द्र सिंह के वीसी बनने पर एलडीए के पास 800 करोड़ की एफडी थी. जिसका इस्तेमाल ऐसे ही बिना डिमांड के फ्लैट्स, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाने और शान ए अवध बनाने में किया गया. हालांकि बाद में शान ए अवध को बेचकर कुछ पैसा बचा लिया गया. गोमती नगर में 44 प्लॉटों का लैंड यूजेस नियम विपरीत बदल दिया गया. इन 44 प्लॉटों मे एलडीए वीसी संतेद्र सिंह का भी प्लॉट शामिल हैं. इसके चलते सत्येन्द्र सिंह के खिलाफ जांच चल रही है.

खाली फ्लैटों के आवंटन, भू उपयोग परिवर्तन में भ्रष्टाचार
जांच से जुड़े अफसरों के मुताबिक, खाली फ्लैटों के आवंटन, भू उपयोग परिवर्तन, गलत नियत से मास्टर प्लान में बदलाव, सीजी सिटी, हेरिटेज जोन, जनेश्वर मिश्र पार्क, समायोजन और जेपीएनआईसी समेत कई मामलों में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. पूर्व वीसी पर आरोप है कि अधिग्रहण के बाद जिस जमीन का मुआवजा महज 31 लाख रुपये होना चाहिए था, उसे मिलीभगत कर उन्होंने 45 करोड़ रुपये कर दिया था. यह मामला राधाग्राम योजना से जुड़ा है. इस योजना में बने जल निगम के दूसरे वॉटर वर्क्स के लिए बालागंज में 10 बीघा 15 बिस्वा जमीन अधिग्रहीत की गई थी. इसका प्रतिकर नहीं दिया गया था. मामला अदालत में पहुंचा तो भू स्वामियों को भुगतान का आदेश हुआ. जमीन की लागत करीब 31 लाख रुपये आ रही थी. आरोप है कि पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह यादव ने मिलीभगत कर भूमि अधिग्रहण के नए नियमों के तहत नई दरों से जमीन का मुआवजा तय कर दिया, जो करीब 45 करोड़ रुपये के आस पास पहुंच गया था. सरकार बदलने पर जांच में यह बड़ा खेल पकड़ में आया.

सत्येंद्र सिंह यादव दो बार एलडीए वीसी रहे. पहली बार 24 दिसंबर 2014 से 30 सितंबर 2015 और दूसरी बार 22 दिसंबर 2016 से 18 अप्रैल 2017 तक उनका कार्यकाल रहा. 31 दिसंबर 2018 को वह राष्ट्रीय एकीकरण विभाग में सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए.

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