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मुख्तार अंसारी को तीन मामलों में बरी किए जाने को चुनौती - लखनऊ बेंच

उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. उन पहले ही तमाम मुकदमे चल रहे हैं. अब जिन मुकदमों में वह बरी हैं, उसे भी चुनौती दी गई है.

मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी

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Published : Apr 27, 2021, 10:16 PM IST

Updated : Apr 27, 2021, 11:06 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दिसंबर 2020 में मुख्तार अंसारी को तीन मामलों में बरी करने के एमपी-एमएलए की विशेष अदालत के फैसलों के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से दाखिल तीन अलग-अलग अपीलों को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने मुख्तार अंसारी को नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया है. न्यायालय ने विशेष अदालत से संबंधित तीनों मामलों की पत्रावलियां भी तलब की हैं. न्यायालय ने मामलों की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद नियत किया है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए पारित किया. राज्य सरकार की ओर से अपीलें दायर कर कहा गया था कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक गवाह ने अपनी मुख्य परीक्षा में उसके खिलाफ सजा के लिए पर्याप्त गवाही दी थी किन्तु विचारण अदालत ने उक्त गवाही को न मानकर मुख्तार अंसारी को बरी कर गलती की है. वहीं गैंगस्टर मामले में कहा कि पत्रावलियों पर उपलब्ध साक्ष्यों को विचारण अदालत ने ठीक से परीक्षित नहीं किया और उसे बरी करके गलती की. न्यायालय ने प्रथम दृष्टया सुनवाई करके मुख्तार अंसारी को नोटिस जारी कर दिया.

ये थे मामले
दरअसल, एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने जेलर से गाली-गलौज व जान से मारने की धमकी देने तथा तत्कालीन अपर महानिरीक्षक कारागार को धमकी देने के एक-दूसरे मामले में साक्ष्य के अभाव में मुख्तार अंसारी को गत दिसम्बर में बरी कर दिया था. विशेष अदालत ने थाना हजरतगंज से संबधित गैंगेस्टर के भी एक मामले में साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को बरी करने का आदेश दिया था. अभियोजन के मुताबिक 28 अप्रैल, 2003 को लखनऊ के जेलर एसके अवस्थी ने थाना आलमबाग में मुख्तार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके अनुसार जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी. साथ ही उनके साथ गाली-गलौज करते हुए मुख्तार ने उन पर पिस्तौल भी तान दी थी. एक मार्च, 1999 को भी तत्कालीन अपर महानिरीक्षक कारागार एसपी सिंह पुंढीर ने थाना कृष्णानगर में एफआईआर दर्ज कराई थी. विशेष अदालत में मुख्तार अंसारी के इन दोनों मामलों के अलावा थाना हजरगंज से संबधित गैंगेस्टर एक्ट के मुकदमे की भी सुनवाई हो रही थी.

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मुख्तार अंसारी पर चल रहे तमाम मुकदमें
मुख्तार अंसारी के खिलाफ यूपी कुल 53 मुदकमें दर्ज हैं. माफिया डॉन और पूर्वांचल के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर हत्या का पहला मुकदमा गाजीपुर जिले में वर्ष 1988 में दर्ज हुआ था, लेकिन वर्ष 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार ने जरायम की दुनिया में अपना कदम जमा लिया. 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय हत्याकांड से पूर्वांचल दहल उठा था, जिसके बाद पूर्वांचल समेत पूरे उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी का सिक्का चलने लगा. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल इलाका अपराध और राजनीति के गठजोड़ के लिए कुख्यात इलाकों में गिना जाता है. 'अपराध का राजनीतिकरण' या 'राजनीति का अपराधीकरण' जैसे चर्चित मुहावरों की इसी कड़ी में गाजीपुर के मुख्तार अंसारी का भी नाम आता है. 1996 से मुख्तार का मऊ विधानसभा सीट पर कब्जा है. मुख्तार लगातार चार बार से विधायक हैं. एक बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर, दो बार निर्दलीय और एक बार खुद की बनाई पार्टी कौमी एकता दल से चुनाव लड़ उन्होंने जीत हासिल की. उनके एक और भाई सिबगतुल्ला अंसारी भी उसी पार्टी से विधायक रह चुके हैं, जबकि एक अन्य भाई अफजाल अंसारी इस समय गाजीपुर लोकसभा सीट से बसपा सांसद हैं.

Last Updated : Apr 27, 2021, 11:06 PM IST

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