लखनऊ: एसजीपीजीआई लखनऊ में देश-विदेश से मरीज इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में संस्थान में सेवाओं के विस्तार का फैसला लिया गया है. यहां 50 करोड़ की लागत से डायबिटिक-ऑप्थेल्मिक सेंटर बनेगा, जो प्रदेश का पहला ऐसा सेंटर होगा, जहां डायबिटिक और उससे जुड़ी बीमारियों का इलाज एक ही छत के नीचे हो सकेगा.
चेन्नई की भगदौड़ से मिलेगी निजात:निदेशक डॉ. आरके धीमान के मुताबिक चार मंजिला भवन का निर्माण शुरू है. इसमें पहली और दूसरी मंजिल पर ऑप्थेलमिक सेंटर होगा. यहां आंख से संबंधित बीमारी का इलाज होगा. इसमें सभी आधुनिक उपकरण होंगे. वहीं, तीसरी और चौथी मंजिल पर डायबिटिक सेंटर होगा. इसमें डायबिटीज से होने वाली मल्टी ऑर्गन डिजीज का एक छत तले इलाज मिलेगा. यानी डायबिटीज के मरीजों में पैरों में घाव, किडनी, आंख, हार्ट,न्यूरो समेत सभी बीमारियों का इलाज मुमकिन होगा. साथ ही डायलिसिस की सुविधा भी होगी. अभी तक ऐसा सेंटर चेन्नई-मद्रास में है.
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बढ़ेगी बेडों की संख्या: एसजीपीजीआई में 558 बेड के ब्लॉक का उद्घाटन जनवरी में हो चुका है. वहीं, 15 मार्च से यहां भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू हो गई. ऐसे में संस्थान में बेडों की संख्या बढ़ाकर 2168 की जाएगी. इनमें ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेवाओं का विस्तार किया जाएगा. संस्थान में 558 बेड के ब्लॉक में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग भी होगा. इसमें 220 बेड होंगे. ऐसे में गंभीर मरीजों को बेड के संकट से मुक्ति मिलेगी. इसके अलावा 165 बेड का नेफ्रोलॉजी विभाग, 68 बेड का यूरोलॉजी विभाग व 115 बेड डायलिसिस के लिए होंगे.
हर साल तीन सौ से अधिक होंगे किडनी ट्रांसप्लांट:एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आर के धीमान ने कहा कि नए भवन में किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू होगा. इसमें नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी के बेड बढ़ेंगे. अभी जहां साल भर में 130 के करीब किडनी ट्रांसप्लांट होते हैं. इसके बाद साल भर में तीन सौ से अधिक मरीजों के हर साल किडनी ट्रांसप्लांट मुमिकन हो सकेंगे. लिहाजा, किडनी ट्रांसप्लांट की वेंटिंग भी घटेगी.
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