लखनऊ:उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य कर्मियों को 25 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि दिए जाने की मुख्यमंत्री की मंशा पर अधिकारी पानी फेर रहे हैं. इस संदर्भ में जारी शासनादेश और स्वास्थ्य महानिदेशक के प्रस्ताव को उन्होंने भ्रमित करने वाला बताया है.
'भ्रमित करने वाला है शासनादेश'
अतुल मिश्रा ने बताया कि शासनादेश भ्रमित करने वाला है. शासनादेश में कहा गया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए तैनात चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ एवं सफाई कर्मियों को मूल वेतन अथवा मानदेय पर 25 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि मिलेगी. जबकि लैब टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर, लैब अटेंडेंट को मूल वेतन मानदेय की धनराशि पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन धनराशि दी जाएगी.
मृतक आश्रितों को घोषित लाभ देने में रुचि नहीं ले रहे अधिकारी
उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना संक्रमण से जिन अधिकारियों, कर्मचारियों व चिकित्सकों की मृत्यु हुई है. उनके परिजनों को सरकार ने 50 लाख रुपये की राशि और मृतक आश्रित को नौकरी देने की घोषणा की थी, लेकिन इस कार्य में अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि इससे कर्मचारियों के मनोबल में कमी के साथ आक्रोश पैदा किया जा रहा है. परिषद के उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि नॉन कोविड चिकित्सालय में कोविड चिकित्सालय से अधिक असुरक्षा है, क्योंकि वहां चिह्नित मरीज नहीं आ रहे हैं.
शासनादेश में संशोधन की मांग
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रमुख डॉ. केके सचान, अध्यक्ष सुरेश, महामंत्री अतुल मिश्रा, उपाध्यक्ष सुनील यादव प्रवक्ता अशोक कुमार, मीडिया प्रभारी सुनील कुमार ने शासनादेश में संशोधन कर सभी स्वास्थ्यकर्मियों को प्रोत्साहन धनराशि प्रदान करने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने सीएम योगी से अनुरोध किया है.