लखनऊ:उत्तर प्रदेश में बिजली से जुड़ा कोई काम बिना घूसखोरी के हो जाए यह संभव नहीं है. बिजली बिल सुधारवाने से लेकर नए कनेक्शन, प्राइवेट लाइन खिंचवाने से लेकर ट्रांसफार्मर लगवाने तक और विभागीय ट्रांसफर से लेकर पोस्टिंग तक हर कदम पर पैसा ही मायने रखता है. जो पैसा खर्च करता है उसके लिए इस विभाग में कोई भी काम मुश्किल नहीं है. बिना पैसे कोई काम हो जाए तो ये सपने के साकार होने जैसा है.
बिजली विभाग के जिम्मेदार अधिकारी उपभोक्ताओं को शिकार बनाकर बड़े-बड़े घोटालों को अंजाम दे रहे हैं. यही नहीं विजली विभाग को भी जमकर चूना लगा रहें हैं. विभाग में पहले ऐसे तमाम घोटाले हो चुके हैं जो यह साबित करने के लिए काफी है कि ये विभाग घोटालों का विभाग है. एक दिन पहले ही लखीमपुर के जेई का जो मामला सामने आया उसने बिजली विभाग की कलई खोलकर रख दी है.
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ट्रांसफर के लिए मांगी थी एक लाख: बिजली विभाग के लखीमपुर खीरी के जेई नागेंद्र शर्मा ने एक लाइनमैन गोकुल यादव से ट्रांसफर के लिए ₹एक लाख की घूस मांगी. इतना ही नहीं उसने लाइनमैन से एक रात के लिए पत्नी भेजने की भी मांग कर डाली. जूनियर इंजीनियर की इस ओछी हरकत से लाइनमैन गोकुल इतना आहत हुआ कि उसने पेट्रोल डालकर आत्मदाह कर ली. लाइनमैन की मौत हो चुकी है लेकिन उसकी मौत ने बिजली विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है. साबित कर दिया है कि बिजली विभाग में छोटे से कर्मचारी के ट्रांसफर के नाम पर भी लाखों रुपए की घूस चलती है. तमाम ऐसे घोटाले अब तक बिजली विभाग में हो चुके हैं जिन्होंने विभाग की छवि को तार-तार किया है.
देवरिया, महोबा में ₹28 करोड़ का घोटाला :देवरिया और महोबा में बिलिंग घोटाला हो चुका है. बिजली विभाग के अफसरों ने उपभोक्ताओं से बिल तो वसूल लिया लेकिन विभागीय खाते में जमा ही नहीं किया. वहीं, बिलिंग सुधार के नाम पर भी जमकर लूट की. अब तक जांच में तकरीबन ₹28 करोड़ के घोटाले की पुष्टि भी हुई है जिसमें 22 करोड़ रुपए का घोटाला महोबा में तो छह करोड़ का घोटाला देवरिया में हुआ है. इसके बाद अब पावर कॉर्पोरेशन की तरफ से स्पेशल ऑडिट टीम गठित की गई है जो 36 डिवीजनों में बिलिंग घोटाले की जांच कर रही है.