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लखनऊ: जजों की कमी से जूझ रहा राज्य उपभोक्ता आयोग, 8 से 10 महीने बाद मिल रही तारीख

उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग न्यायिक सदस्यों की घोर किल्लत से जूझ रहा है. नए सदस्यों की भर्ती प्रक्रिया को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हरी झंडी मिल चुकी है. इसके बावजूद अब तक प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका है.

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राज्य उपभोक्ता आयोग में जजों की कमी.

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Published : Jan 28, 2020, 2:56 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग न्यायिक सदस्यों की कमी से जूझ रहा है. कई महीनों से 5 के बजाय दो अदालतों में ही मामलों की सुनवाई हो रही है. इससे पैरवी करने वालों को अपने मुकदमों की अगली तारीख छह से 10 महीने के बाद मिल पा रही है.

राज्य उपभोक्ता आयोग में जजों की कमी.
लालफीताशाही की जकड़न किस कदर मजबूत बनी हुई है, इसका सबूत राज्य उपभोक्ता आयोग में न्यायिक सदस्यों की भर्ती प्रक्रिया के तौर पर देखा जा सकता है. उपभोक्ता आयोग में ऐसे तो पांच अदालते हैं, जिनमें उपभोक्ता मामलों की सुनवाई होती है. एक करोड़ रुपए तक के दावे इन अदालतों में सुने जाते हैं, लेकिन पिछले लगभग 4 महीने से केवल दो अदालते ही काम कर पा रही हैं. इसकी वजह आयोग में न्यायिक सदस्यों की तैनाती में की गई लापरवाही है.

नए सदस्यों की भर्ती प्रक्रिया को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हरी झंडी मिल चुकी है. इसके बावजूद अब तक प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका है. बताया जाता है कि 4 सदस्यों की भर्ती संबंधी फाइल शासन में अटकी हुई है. ऑल यूपी कंज्यूमर प्रोटेक्शन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बीके उपाध्याय के अनुसार कोर्ट के आदेश पर 4 जजों की भर्ती प्रक्रिया शुरू तो हुई, लेकिन अभी तक शासन की हरी झंडी नहीं मिल सकी है. इस वजह से पीड़ित उपभोक्ताओं के मामलों में फैसला नहीं हो पा रहा है.

आयोग के एक अन्य अधिवक्ता ओम प्रकाश बताते हैं कि जजों की कमी की वजह से आयोग में लंबित मामलों की सुनवाई की नई तारीख 8 से 10 महीने बाद की पड़ रही है. जनवरी में जिन मामलों की सुनवाई हो रही है, उनमें नवंबर और दिसंबर में अगली सुनवाई तय हो रही है, जबकि उपभोक्ता आयोग में मामले का निपटारा 3 महीने के अंदर करने का प्रावधान है.

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