लखनऊ :दही-हांडी उत्सव मुख्यत: कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात 12 बजे श्याम (Shri Krishna) ने जन्म लिया था, उन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार बताया जाता है. यूं तो श्री कृष्ण की कहानियों का अंत नहीं, कई धार्मिक जगहों पर उनकी कथाएं तो सुनाई जाती हैं, लेकिन जन्माष्टमी (Janmashtami) पर खासकर उनके बाल स्वरूप को पूजा जाता है, इस दिन बच्चे और बड़े सभी व्रत रखते हैं.
दही-हांडी उत्सव मुख्यत: महाराष्ट्र और गुजरात में मनाया जाता है, लेकिन यह देश के कुछ और हिस्सों में भी इसका आयोजन किया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण के धरती पर जन्म लेने की खुशी में चौराहों पर दही और मक्खन से भरी मटकियां या हांडी लटकाई जाती हैं.
दही हांडी का महत्व (Dahi Handi Importance in Hindi)
दही-मक्खन, भगवान श्री कृष्ण के सबसे प्रिय चीजों में से हैं, यही वजह है कि जन्माष्टमी पर उनकी पूजा के बाद उन्हें इन डेरी प्रोडक्ट्स का भोग लगाया जाता है. बात कान्हा के बचपन के दिनों की है जब वह अपने दोस्तों के सरदार बनकर लोगों के घरों में घुसकर माखन चोरी किया करते थे, आस पास के लोग उनकी इस शरारत से तंग आ चुके थे, मां यशोदा से उनकी शिकायत भी लगती थी लेकिन वह अपनी मीठी-मीठी बातों में बातों को घुमा लिया करते थे.
श्री कृष्ण व उनकी नटखट अदा को हर कोई प्रेम करता था लेकिन अब जब कहीं भी दही की मटकी या हांडी (Dahi Handi 2021) छुपाने पर भी वह नहीं छोड़ते तो गोपियों के दिमाग में एक दिलचस्प योजना आयी, बाल कान्हा से अपनी हांडी बचाने के लिए वे उंचाई पर इसे रखने लगे लेकिन भगववान श्री कृष्ण के आगे तो हर पैंतरा फेल होने वाला था, उन्होंने उंचाई पर रखे हांडी को चुराने के लिए दोस्तों के साथ पिरामिड बनाकर हांडी तक का रास्ता निकाला और भोली भाली गोपियों की योजना धरी की धरी रह गई.