रायपुर:6 अप्रैल 2010, आजादी के बाद भारतीय इतिहास का वो काला दिन है, जिसका दर्द दशक बीत जाने के बाद भी कम नहीं हुआ है. आज से ठीक 10 साल पहले 6 अप्रैल की गर्म सुबह ने वो मातम बिखेरा, जो आज भी जेहन पर किसी जख्म की तरह ताजा है. हमला छत्तीसगढ़ में हुआ था, लेकिन उसकी चीखें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से निकली थीं.
सुबह 8 बजे के बाद दक्षिण बस्तर से खबर आती है कि चिंतलनार सीआरपीएफ कैंप के पास ताड़मेटला नाम की जगह पर सीआरपीएफ के जवान और नक्सलियों के बीच बड़ी मुठभेड़ हुई है. शुरुआती जानकारी में ही कुछ जवानों के शहीद होने की खबर मिलती है, लेकिन पुलिस और सीआरपीएफ के द्वारा शहीद जवानों की संख्या कंफर्म नहीं की जाती है. कुछ देर बाद खबर मिलती है कि करीब 12 जवान शहीद हो गए हैं, कई जवानों को गोली लगी है, बड़ा नुकसान हो सकता है. 9 बजते-बजते ये संख्या बढ़कर 76 हो जाती है. इन 76 जवानों की शहादत से सबसे ज्यादा दर्द उठा तो उत्तर प्रदेश की माटी से. दरअसल, इन 76 जवानों की शहादत के 42 जवान उत्तर प्रदेश की धरती से आते हैं.
76 जवानों की अर्थियां देख दहल गया था देश
एक साथ 76 जवानों के शहादत की खबर से पूरा देश दहल गया था. रायपुर से लेकर दिल्ली तक के हुक्मरान सकते में आ गए थे. 'लाल आतंकियों' ने देश के लालों पर सबसे बड़ा हमला जो किया था. इस हमले में शहीद हुए जवानों में नॉर्थ-ईस्ट से लेकर दक्षिण के राज्यों तक के जवान शामिल थे. 5 अप्रैल को चिंतलनार सीआरपीएफ कैंप से करीब 150 जवान जंगल में सर्चिंग के लिए निकले हुए थे. ये जवान घने जंगल में कई किलोमीटर चलने के बाद जब वापस लौट रहे थे तभी 6 अप्रैल की सुबह करीब 6 बजे ये भीषण मुठभेड़ हुई.
उत्तर प्रदेश के 42 जवानों ने दी शहादत
'लाल आतंकियों' की काली करतूत ने उत्तर प्रदेश के कितने घरों में मातम पसारा दिया था. खिलखिलाते चेहरों पर दुखों का जो सैलाब उमडा उसकी चिंगारी आज भी लोगों की दिलों में धधक रही है. उत्तर प्रदेश की पावन धरती के 42 जवान देश सेवा में हंसते-हंसते जान न्योछावर कर दिए.