शहडोल(एमपी):मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर घने जंगलों के बीच प्राकृतिक सौंदर्य जहां अपनी अलग छटा बिखेरती है, वहीं खड़ाखोह के जंगल में राजमाड़ा के पास पहाड़ी पर एक आश्रम है. इसे रामवन आश्रम के नाम से जाना जाता है और इस आश्रम में बाबा रामदास रहते हैं. बाबा रामदास की जंगल में रहने वाले भालूओं से गजब की जुगलबंदी है. बाबा की एक आवाज पर भालू दौड़े चले आते हैं. इतना ही नहीं बाबा बताते हैं कि वह जब से आये हैं, तभी से भालू आने लगे हैं. बाबा रामदास ने इन जंगली भालुओं का नामकरण भी कर दिया है. वह इन भालूओं को चुन्नू, मुन्नू, लल्ली, गल्लू, और मुन्ना के नाम से पुकारते हैं.
जिन जंगली भालुओं का नाम सुनकर इंसान कांप जाता है, वही भालू बाबा रामदास की एक आवाज पर दौड़े चले आते हैं. बाबा और भालुओं के बीच ऐसी दोस्ती है कि जब तक बाबा पूजा-पाठ करते हैं, तब तक भालू उनके पास ही बैठे रहते हैं और प्रसाद खाने के बाद ही वहां से जाते हैं. बाबा रामदास कहते हैं कि वह इस जंगल में कुटिया बनाकर पिछले सात साल से रह रहे हैं. धीरे-धीरे यहां रहने वाले भालुओं से उनकी जुगलबंदी होती गई.