लखनऊ : गाजियाबाद के मुरादनगर में श्मशान में हुए हादसे में 25 लोगों की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया. ऐसा श्मशान जहां लोग पहुंचे थे अपने पैरों पर लेकिन लौटे कंधों पर. जहां एक चिता की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि कई और चिता तैयार करने की बारी आ गई. चीख-पुकार के बीच केवल मातम वाली खामोशी थी और रह गए थे बर्बादी के निशां. हर तरफ कोहराम मचा था. लगा जैसे श्मशान में बने शेड पर लिखे स्लोगन हमें चिढ़ाने लगे. ढहने से बच गई दीवारों पर लिखा था जिंदगी हर जन्म में मौत से मिलती रहे, होकर जुदा फिर मौत से जीवन कली खिलती रहे. वाकई जिस ठेकेदार ने गाजियाबाद जिले के मुरादनगर की श्मशान में शेड की दीवारों पर ये लाइनें लिखवाई होंगी, वह वाकई भविष्य जानता होगा. वह जानता होगा कि श्मशान में बने शेड में कितनी घटिया क्वालिटी के सामानों का इस्तेमाल उसने करवाया था, तभी तो 25 लोग मौत से मिल गए.
मुरादनगर में रविवार को एक सब्जी व्यापारी के अंतिम संस्कार के लिए लोग श्मशान पहुंचे थे. तभी बारिश होने लगी और लोग बचने के लिए वहीं शेड के नीचे चले गए. लेकिन उन्हें क्या पता था कि वो मौत की छत के नीचे खड़े हैं. बारिश के बीच ही एक जोरदार आवाज ने सभी में सिहरन पैदा कर दी. जिस शेड के नीचे लोग खड़े थे वह भरभरा कर गिर चुका था. लोग उसके नीचे दबे थे. किसी का हाथ कटकर यहां पड़ा था तो किसी का पैर वहां बिखरा था. किसी के जिस्म का कोई हिस्सा जाने कहां छिपा था. हर तरफ केवल तबाही के मंजर थे...और वहां खड़े लोगों की आंखों में आंसू थे. शेड का निर्माण दो से तीन महीने पहले ही हुआ था. करीब 55 लाख रुपये खर्च हुए थे. लेकिन 55 लाख से बना शेड 25 लोगों के लिए मौत वाली शेड बन गया.