लखनऊ: महादेवी वर्मा पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रयागराज की सरोज सिंह ने कहा कि नारियों के बारे में जो पाश्चात्य दृष्टि है, वह नारी मन की संवेदनशीलता को समझने में असमर्थ है. भारतीय जीवन दृष्टि से ही नारी मन को समझना होगा. नारी जीवन रथ का एक पहिया है. स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर इस रथ को वेगवान बनाते हैं.
महादेवी वर्मा पुरस्कार मिलने पर बोलीं सरोज सिंह, भारतीय दृष्टि से समझना होगा 'नारी' मन को - डॉक्टर सरोज सिंह
महादेवी वर्मा पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर सरोज सिंह ने कहा कि भारतीय स्त्री को लेकर पाश्चात्य जीवन दृष्टि बेहद एकांगी है. वह भारतीय नारी के मन की संवेदनशीलता को नहीं छू पाती है, जबकि भारतीय जीवन दृष्टि में नारी का कोमल मन पहले से ही साहित्य में स्थान पाता रहा है.
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महादेवी वर्मा पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर सरोज सिंह.
महादेवी वर्मा पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर सरोज सिंह से बातचीत करते संवाददाता.
विराट स्वरूप है नारी का मन-
- हिंदुस्तानी एकेडमी द्वारा एक लाख रुपये के महादेवी वर्मा सम्मान प्रयागराज की डॉक्टर सरोज सिंह को दिया गया है.
- सरोज सिंह ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत की.
- सरोज सिंह ने कहा कि नारी मन को लेकर मैंने विशेष तौर पर लेखन किया.
- सरोज सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि जिस तरह से स्त्री होने के नाते मैं स्त्री मन को समझकर अभिव्यक्त कर सकती हूं, वैसा दूसरों के लिए आसान नहीं होगा.
- आज की भारतीय नारी विभिन्न आयामों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही है.
- ऐसी बहुआयामी नारी का मन भी विराट स्वरूप धारण कर चुका है.
- सरोज सिंह का मानना है कि नारी और पुरुष दोनों ही जीवन रूपी रथ के दो पहिए हैं.
- दोनों ही एक दूसरे को साथ लेकर चलते हैं.
- समस्याएं हर वर्ग और हर व्यक्ति के साथ हैं, लेकिन जो सकारात्मक पहलू है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
महादेवी वर्मा के नाम पर सम्मान मिलना मेरे लिए बेहद गौरवपूर्ण है. उनका स्थान भारतीय हिंदी साहित्य में अत्यंत उच्च है. मैं अपने को इस योग्य नहीं पाती हूं, लेकिन हिंदुस्तानी एकेडमी का यह सम्मान मुझे गौरव की अनुभूति कराने वाला है.
-डॉक्टर सरोज सिंह, महादेवी वर्मा सम्मान से सम्मानित