लखनऊः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों ने राज्य में इतिहास बनाते हुए बीजेपी को लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज कराया है. समाजवादी पार्टी एक बार फिर अगले 5 साल सत्ता से बाहर रहेगी. ऐसे में अब जहां बीजेपी शपथ समारोह की तारीख तय करने में लगी है, तो सपा इस कश्मकश में है कि वो अपने नेता को सांसद रखें या फिर विधायक. ये सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी मंथन कर रहे हैं कि उन्हें अगले पांच साल योगी आदित्यनाथ के सामने विधानसभा में बैठेंगे या 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए लोकसभा में मोदी सरकार को घेरेंगे.
अखिलेश यादव ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और यादव परिवार के गढ़ मैनपुरी जिले की करहल सीट से जीत दर्ज की. अखिलेश यादव मौजूदा समय में आजमगढ़ से सांसद भी हैं. ऐसे में अब ये सवाल उठ रहा है कि आखिरकार अखिलेश यादव करहल से मिली विपरीत परिस्थितियों में जीत का सम्मान रखेंगे या लोकसभा में ही अपनी राजनीति आगे बढ़ाएंगे. वैसे तो ये तय खुद अखिलेश यादव को करना है, लेकिन कयास ये लगाए जा रहे हैं कि वो सासंद रहना पसंद करेंगे.
ऐसा इसलिए क्यों कि जब वे 2012 से 2017 के मध्य सपा सरकार के दौरान वो एमएलसी थे, तब तक तो सबकुछ ठीक रहा. लेकिन सत्ता से बाहर होते ही कार्यकाल एक साल बचे रहने के बावजूद विधान परिषद में उनकी उपस्थिति न के बराबर ही रही है. वजह साफ थे कि अखिलेश यादव को सदन में विपक्ष में बैठना मंजूर नहीं था. हालांकि आजमगढ़ में सांसद बनने पर लोकसभा में मोदी सरकार को घेरने के लिए हमेशा मौजूद रहे. इसके साथ ही लोकसभा में सपा के महज 5 सांसद होने के चलते वहां पार्टी को कमजोर नहीं होने देना चाहेंगे.
क्या कहते है राजनीतिक विश्लेषक