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अखिलेश यादव का बयान- उत्तर प्रदेश में अपराधी बेलगाम

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार केंद्र और प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं, कभी कानून व्यवस्था को लेकर तो कभी किसानों के मुद्दे को लेकर. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि झूठे आंकड़ों से जनता को भ्रमित करने की चाहे जितने तिकड़में सत्तारूढ़ दल करे, उसमें अब वह सफल होने वाली नहीं है.

उत्तर प्रदेश में अपराधी हुए बेलगाम
उत्तर प्रदेश में अपराधी हुए बेलगाम

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Published : Mar 18, 2021, 6:41 AM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और राजधानी लखनऊ में अपराधी बेलगाम हैं, परन्तु अपने मुख्यमंत्री इधर से बेखबर पश्चिम बंगाल और असम में कानून व्यवस्था सुधारने में व्यस्त हैं. भाजपा का यही तरीका है कि वह जनता के बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जादुई जुमले उछालने लगती है.

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि महिलाओं एवं बच्चियों के साथ अपराध में राजधानी लखनऊ अव्वल नम्बर पर आ गया है. नेशनल क्राइम ब्यूरों 2019 रिकार्ड के अनुसार 3390 मामले दर्ज हुए. कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब लूट, अपहरण, हत्या और दुष्कर्म की घटनाएं न होती हों. पुलिस की छाया में डकैतियां पड़ जाती है. गम्भीर घटनाओं तक की विवेचना में लापरवाही बरते जाने पर न्यायालयों ने कई बार अपनी सख्त टिप्पणियां की हैं और सरकार को भी फटकार लगाई है. जहां तक महिलाओं और बच्चियों से सम्बन्धित अपराधों का सवाल है इनका ग्राफ भाजपा राज में लगातार ऊंचाई की तरफ बढ़ता जा रहा है.



कमिश्नर प्रणाली लागू करना हास्यास्पद

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि कमिश्नर प्रणाली लागू कर कानून व्यवस्था दुरूस्त करने का दावा भाजपा सरकार का हास्यास्पद है. मुख्यमंत्री आवास के करीब डीजीपी आवास के सामने बेखौफ सत्ता संरक्षित अपराधी असलहे लहराकर दहशत फैला रहे हैं. विज्ञापनों, भाषणों से लॉ एण्ड आर्डर में सुधार वैसे ही होगा जैसे ताली और थाली बजाकर कोविड-19 की महामारी से निबटा गया था.


भाजपा राज में अपराधी बेखौफ

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा राज में खुद पुलिस पर अपराधी बेखौफ हमलावर हो रहे है. पुलिस का मनोबल गिरा हुआ है. अपराधी सत्ता संरक्षित होने से निडर है कि उन पर हाथ डालने वाला पुलिस कर्मी ही निलम्बित होगा. इसलिए असल अपराधी को पकड़ने के बजाय आला अफसर फर्जी एनकाउण्टरों से वाहवाही ले रहे हैं या हिरासत में मौतों को अंजाम दे रहे हैं. पीड़ितों के साथ थानों में दुर्व्यवहार होता रहता है. पीड़ित महिलाओं को और ज्यादा प्रताड़ित किया जाता है.

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