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मोदी सरकार का बजट 15 लाख वाला जुमला: राम गोविंद चौधरी

समाजवादी पार्टी के नेता राम गोविंद चौधरी ने मोदी सरकार के बजट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि इस बजट में किसानों की उम्मीदें पूरी नहीं होती. बजट में युवाओं, बेरोजगारों के लिए भी कोई ठोस प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है.

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राम गोविंद चौधरी (फाइल फोटो).

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Published : Feb 1, 2020, 10:43 PM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सदन में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने मोदी सरकार के बजट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 का आम बजट भी 15 लाख वाला जुमला है, जो सबके खाते में आना था, लेकिन आया किसी के खाते में नहीं. इसे लेकर शेयर बाजार भी आज ऐतिहासिक गिरावट के साथ बन्द हुआ है.

आम बजट को झूठ का पुलिंदा बताते हुए नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि इस बजट में भी मोदी सरकार ने किसानों, मजदूरों, दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, मजलूमों, महिलाओं और मध्यम वर्ग के लोगों को सिर्फ छला है. इसमें जुमला नीति की तरह ही सभी को ऐसे दिवास्वप्न दिखाए गए हैं, जो कभी भी जमीन पर नहीं उतर सकते हैं. जैसे बजट में किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो कही गई है पर इसके लिए कोई ठोस कार्य योजना नहीं पेश की गई है.

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इसके लिए जो प्रस्ताव पेश हैं, वह सिर्फ देखने में अच्छे लगने वाले हैं. इससे किसानों की उम्मीदें पूरी नहीं होती. बजट में युवाओं, बेरोजगारों के लिए भी कोई ठोस प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है. इससे बेरोजगारी और बढ़ेगी. रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि बजट में विदेशों के लिए नर्स और डाक्टर तैयार करने की बात कही गई है, जबकि देश में ही स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह बेहाल हैं. डाक्टरों और नर्सों की भारी कमी है. यह कमी दूर करने के लिए भी बजट में कोई ठोस योजना नहीं है.

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उन्होंने कहा है कि यह सरकार आम लोगों की सरकार नहीं है बल्कि विशेष लोगों की सरकार है. इस बजट में 150 ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में देने की तैयारी है. यह आत्मघाती कदम है. इससे रेल आम लोगों से दूर होती चली जाएगी और गरीबों की यह सवारी भी बस अमीरों के लिए रह जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने आयकर के मामले में भी मध्यम वर्ग को सिर्फ ठगा है. जैसे उसने एक तरफ राहत के नाम पर टैक्स स्लैब को बढ़ा दिया है, दूसरी तरफ निवेश को लेकर मिलने वाली छूट में एक नया प्रतिबंध जड़ दिया. इससे निवेश हतोत्साहित होगा. बजट में सरकार आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, बैंकों और उद्यमों के लिए कारगर कई ठोस प्रस्ताव नहीं ला पाई.

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