लखनऊ :2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने स्तर पर तैयारियां कर रहे हैं. चुनाव से ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मणों को साथ लाकर 2007 के चुनावों की तरह ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत की है. इससे चिंतित समाजवादी पार्टी ने भी अब नए सिरे से रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
सपा को भी समझ आयी ब्राह्मणों की अहमियत, बना रही 'सम्मोहन' की नई रणनीति इस संबंध में ईटीवी भारत ने पिछले दिनों अपने एक लेख (..तो 'विकास' का मुद्दा बदलेगा यूपी की सियासी तकदीर, मुस्लिम वोटर मारेंगे 'आखिरी हथौड़ा' !)में पहले ही जिक्र कर दिया था कि बसपा की दांव से परेशान अन्य सभी दल ब्राह्मण समाज को पार्टी के साथ लाने की कवायद में जुट गए हैं. सभी नए सिरे से रणनीति बना रहे हैं.
सपा को भी समझ आयी ब्राह्मणों की अहमियत, बना रही 'सम्मोहन' की नई रणनीति अपनी नई'ब्राह्मण सम्मोहन'नीति के तहत सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के ब्राह्मण चेहरों में शुमार वरिष्ठ नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे, पूर्व मंत्री व सपा प्रबुद्ध सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पांडेय, पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा, पवन पांडे व सनातन पांडे की 5 सदस्यीय कमेटी बनाई है.
इन सभी को ब्राह्मणों को जोड़ने के लिए कई स्तरों पर ब्राह्मण सम्मेलन या व तरह अभियान शुरू कराने को कहा गया है. इसी क्रम में समाजवादी पार्टी 23 अगस्त से बलिया से ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत करने जा रही है. इसका नेतृत्व समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री मनोज पांडे करेंगे.
सपा को भी समझ आयी ब्राह्मणों की अहमियत, बना रही 'सम्मोहन' की नई रणनीति इससे पूर्व समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने को लेकर प्रबुद्ध सम्मेलन व परशुराम सम्मेलन जैसे आयोजन करती रही है. प्रबुद्ध सम्मेलन समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोज पांडे के नेतृत्व में आयोजित होते रहे हैं. अब इस 5 सदस्यीय कमेटी के माध्यम से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को जोड़ने का काम किया जाएगा.
ब्राह्मण उत्पीड़न के मुद्दों को सपा भी जोर शोर से उठाएगी
सपा की नवगठित कमेटी ब्राह्मणों को साथ लाने की कवायद के साथ ही प्रदेश की भाजपा सरकार में ब्राह्मणों के साथ हो रही कथित उपेक्षा व अन्य घटनाओं को मुख्य मुद्दा बनाएगी.
ब्राह्मणों के उत्पीड़न के मुद्दों को जिला स्तर पर उठाया जाएगा. सपा के ब्राह्मण नेता उन्हें हर तरह से इस बात का यकीन दिलाने की कोशिश करेंगे कि सपा नेतृत्व अब ब्राह्मणों के साथ है. यह भी बताया जाएगी कि ब्राह्मणों को सरकार में उचित भागीदारी नहीं दी गई बल्कि सिर्फ वोट बैंक समझा गया.
सपा को भी समझ आयी ब्राह्मणों की अहमियत समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री मनोज पांडे ने बताया कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा ब्राह्मणों को सम्मान देने का काम किया है. स्वर्गीय जनेश्वर मिश्र छोटे लोहिया के नाम से जाने जाते रहे हैं. हमारे वरिष्ठ नेता रहे बृजभूषण तिवारी, कामेश्वर उपाध्याय तमाम ऐसे बड़े नेता रहे हैं जो तमाम महत्वपूर्ण दायित्व पर रहे हैं.
समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण समाज के लोगों को मजबूत हिस्सेदारी दी है. नेतृत्व भी दे रही है. अब जहां तक सम्मेलन का सवाल है तो आज वह लोग सम्मेलन कर रहे हैं जो सिर्फ राजनीतिक रूप से वोट बैंक की राजनीति करते हैं.
पूर्व मंत्री मनोज पांडेय ने कहा कि समाजवादी प्रबुद्ध सभा के बैनर तले लगातार 2011 से लेकर अब तक समाजवादी पार्टी ब्राह्मण सम्मेलन करती रही है. पिछले 2 वर्षों में प्रदेश के 57 जनपदों में प्रबुद्ध लोगों के कार्यक्रम किए गए हैं.
23 तारीख से बलिया में होगा ब्राह्मण सम्मेलन
पूर्व मंत्री मनोज पांडेय ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ मुलाकात की है. 23 अगस्त से हम लोग बलिया से कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं. इस कार्यक्रम से हम ब्राह्मण समाज यानी प्रबुद्ध समाज के लोगों को जोड़ने का काम करेंगे. भगवान परशुराम की जयंती पर अवकाश घोषित करने का काम समाजवादी पार्टी की सरकार ने किया था. यह सिर्फ उत्तर प्रदेश के अखिलेश यादव सरकार की ही देन थी.
श्रवण यात्रा की शुरुआत भी समाजवादी पार्टी ने की थी. स्वतंत्रता संग्राम के महानायक 1857 के गदर के नायक मंगल पांडे की बलिया में प्रतिमा लगाने का काम समाजवादी पार्टी ने किया. कहा कि भाजपा के इन साढ़े 4 सालों के राज में ब्राह्मण समाज के हजारों लोगों की हत्या हुई है. प्रदेशभर के लोग इस सरकार से परेशान हैं. यह लोग किस मुंह से इस समाज के लोगों के वोट लेने की बात कर रहे हैं. यह समाज हमेशा से सचेतक रहा है.
..पर सपा की कम नहीं हैं मुश्किलें
बहुजन समाज पार्टी के जिस ब्राह्मण कार्ड की काट करने में समाजवादी पार्टी जुटी हुई है, उसी ब्राह्मण वोटर ने सपा को 2017 के चुनावी दंगल में पटखनी दी थी. तब भी इस बात की लहर थी कि अखिलेख सरकार ने ब्राह्मणों के साथ अच्छा वर्ताव नहीं किया.
इसे लेकर अखिलेश ने कभी कोई सफाई नहीं दी. हालांकि बीच-बीच में उनके कुछ विवादित बयान पत्र पत्रिकाओं में छपते रहे. वहीं, जिस बलिया से वे ब्राह्मण सम्मेलन की शुरूआत करने जा रहे हैं, उस बलिया को भी सपा सरकार में कुछ खास नहीं मिला.
शायद यही वजह है कि यहां से सपा 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद लोकसभा चुनावों में भी कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई. खासकर लोकसभा चुनाव में जब सपा ने यहां से एक ब्राह्मण प्रत्याशी सनातन पांडेय को अपना प्रत्याशी बनाया, तब भी सपा यहां से कुछ खास नहीं कर पाई.
वहीं, इस बार भी सपा के अब तक के चुनावी मुद्दों में कहीं भी ब्राह्मण शामिल नहीं था. सपा अब तक मुस्लिम और अपने परंपरागत वोटर को ही साधने में जुटी थी. इसी बीच बसपा के ब्राह्मण सम्मेलनों की सफलता ने जैसे सपा की आंख ही खोल कर रख दी.
अब सपा नए सिरे से रणनीति बना रही है. पर बलिया से समाजवादी पार्टी प्रदेश के ब्राह्मणों में कोई सफल संदेश दे पाएगी या नहीं, यह वक्त ही बताएगा.