लखनऊ:चौरी-चौरा कांड की याद में संस्कृति विभाग की ओर से गीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर में चौरी-चौरा कांड हुआ था उसा की याद में शताब्दी वर्ष मनाया जाना है. उसी के तहत यह आयोजन किया गया है. चौरी-चौरा महोत्सव की पूर्व वेला में आयोजित इस प्रतियोगिता में संगीत नाटक अकादमी द्वारा गठित विशेषज्ञों की समिति ने वाराणसी के चन्द्रशेखर गोस्वामी को प्रथम विजेता चुना गया है. वहीं प्रथम पुरस्कार विजेता को 51 हजार रुपये का पुरस्कार प्रदान किया जायेगा.
चौरी चौरा कांड क्या था
चौरी चौरा कांड 5 फरवरी ,1922 को गोरखपुर में हुआ था. स्वाधीनता के लिए चल रहे जन असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था. पुलिस जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला करते हुए एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी. उस समय महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार, अंग्रेजी पढ़ाई छोड़ने और चरखा चलाकर कपड़े बनाने का आह्वान किया हुआ था. उनका यह सत्याग्रह आंदोलन पूरे देश में रंग ला रहा था.
4 फरवरी ,1922 दिन शनिवार को चौरी-चौरा के भोपा बाजार में सत्याग्रही इकट्ठा हुए और थाने के सामने से जुलूस लेकर गुजर रहे थे. तत्कालीन थानेदार ने जुलूस को अवैध मजमा घोषित कर दिया था. एक सिपाही ने सत्याग्रही की गांधी टोपी को पांव से रौंद दिया. गांधी टोपी को रौंदता देख सत्याग्रही आक्रोशित हो गए थे.
प्रतियोगिता का विषय
प्रतियोगिता में स्वतंत्रता आंदोलन की घटनाओं को थीम सांग की तरह काव्य में ढालकर प्रस्तुत किया गया. इस कांड में शहीद हुए बलिदानियों की गौरव गाथा लोगों के सामने दर्शाया गया. प्रतियोगिता के लिए विभिन्न जिलों से लगभग 40 प्रविष्टियां विभाग को प्राप्त हुई थी. प्रथम चुने गये वाराणसी के चन्द्रशेखर गोस्वामी की पंक्तियां इस प्रकार हैं.