लखनऊ : लोक सभा चुनाव 2024 से पहले सभी राजनीतिक दल सियासी गोटियां सेट करने में जुटे हुए है. जातिगत समीकरण साधने के लिए सभी दल अपनी-अपनी गणित लगा रहे हैं. ऐसे ही जातिगत समीकरण को साधने के लिए सोनेलाल पटेल जयंती का अवसर एनडीए ने चुना. इस मौके पर अनुप्रिया पटेल के साथ सभी सहयोगी दल एक साथ नजर आए. राजधानी लखनऊ के इंदिरागंधी प्रतिष्ठान में आयोजित सोनेलाल पटेल की 74वीं जयंती में गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत एनडीए के कई नेता मौजूद रहे.
कुर्मी वोट को साधने का प्रयास
दरअसल, लोक सभा चुनाव 2024 से पहले एनडीए व विपक्ष में कुर्मी समाज का रहनुमा बनने की होड़ है. जिस तरह अपना दल (एस) के कार्यक्रम में शामिल होकर अमित शाह ने पटेल समाज के साथ ओबीसी को साधने का प्रयास किया और इस दौरान केंद्रीय योजनाओं का बखान किया. वहीं अन्य भाजपा नेताओं ने भी सरकार की योजनाएं गिनाईं. दूसरी तरफ अपना दल (कमेरावादी) के कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने पटेल जाति को साधने की कोशिश की. दरअसल बीजेपी और समाजवादी पार्टी जानती है कि प्रदेश का आठ प्रतिशत कुर्मी वोट लोक सभा के चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे.
अनुप्रिया पटेल कुर्मी समाज की बनी छत्रप, पल्लवी ने सपा को किया मजबूत
यूपी में अपना दल के अस्तित्व में आने के बाद से ही कुर्मी वोट पर सोनेलाल पटेल के परिवार का दबदबा है. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना दल-एस की दो सीटें थीं और पार्टी ने दोनों सीटें जीतीं. वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में एनडीए में रह कर अपना दल ने चुनाव लड़ा तो एक सांसद भी अपना दल से मिल गया. हालांकि जब अपना दल के दो फाड़ हुए तो सोनेलाल पटेल की छोटी बेटी अनुप्रिया पटेल कुर्मी समाज के एक बड़ी छत्रप के रूप में उभर कर आईं. वर्ष 2017 में बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और 11 सीटें में 9 सीटों पर जीत हासिल की. वर्ष 2022 के चुनाव में पार्टी के खाते में 17 सीटें आईं और 12 सीटों पर जीत हासिल हुई. स्थिति यह रही कि समाजवादी पार्टी और भाजपा के बाद अपना दल (एस) तीसरी बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी.