लखनऊ : राजधानी में कोरोना की वजह से अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बंद है. किसी भी मरीज को कोई भी समस्या परेशानी है तो अस्पताल की साइट पर जाकर वहां से डॉक्टर का नंबर निकाल कर उनसे बात कर सकते हैं. अखबारों में भी सभी अस्पतालों के विभाग के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का नंबर जारी किया जा रहा है. प्रशासन की तरफ से भी केजीएमयू लोहिया, पीजीआई और ट्रामा सेंटर के डॉक्टरों के नंबर जारी किए जा रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उन नंबरों पर डॉक्टर मरीजों को उपलब्ध हो रहे हैं या नहीं.
ईटीवी भारत ने सोमवार को प्रशासन और अस्पताल द्वारा जारी नंबरों का एक रियलिटी चेक किया. ईटीवी भारत की रिपोर्टर ने सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक जारी किए गए इन अलग-अलग नंबरों पर लगातार फोन किया. मरीज बनकर रिपोर्टर ने डॉक्टरों के नंबर पर फोनकर कोविड से बचने की सलाह मांगी. अलग-अलग अस्पताल के विभाग के 16 डॉक्टरों के पास फोन किया गया. इसमें से सिर्फ 8 डॉक्टरों ने फोन उठाया. जिन डॉक्टरों ने फोन उठाया, उन्होंने जानकारी देते हुए कोरोना से बचने के लिए कुछ दवाइयां व्हाट्सएप के जरिए बताईं.
स्थिति भयावह
लखनऊ में पिछले तीन दिन से लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या कम हुई हैं. यहां संक्रमित मरीजों के आंकड़े 6 हजार पार हो गए थे. वहीं बीते मंगलवार को शहर में संक्रमित मरीजों की संख्या 4437 रही. लखनऊ में मरीजों के लिए सभी सरकारी अस्पतालों ने चिकित्सकों का नंबर जारी किया हैं.
कुछ ने रिसिव किया फोन तो कुछ रहे नॉट रिचबल
केजीएमयू में ई-संजीवनी पोर्टल पर भी सभी स्पेशलिट की ओपीडी सुबह 9 से दोपहर 2 बजे के बीच शुरू हुई है. इसमें मरीज डॉक्टर को एप के माध्यम से वीडियो काल कर बात कर सकता है. इसकी सुविधा के लिए गूगल प्ले स्टोर से ई-संजीवनी ओपीडी एप इंस्टॉल करना पडेगा. रजिस्ट्रेशन पर क्लिक कर अपना मोबाइल नंबर डालें और ओटीपी डालकर रजिस्ट्रेशन करा लें. इसके बाद स्पेशलिस्ट सेवाओं के लिए टोकन बनाएं. एमएमएस के माध्यम से नोटिफिकेशन मिलने पर लॉग इन कर अपनी बारी का इंतजार करें. इस पर डॉक्टर से वीडियो कॉल के माध्यम बात हो जाएगी. डिजिटल ओपीडी के फोन नंबर पर कॉल कर भी यह सुविधा ली जा सकती है. वहीं जब ईटीवी भारत ने इन नंबरों पर फोन कर सलाह लेने की कोशिश की तो बहुत सारे डॉक्टरों ने दिए गए निर्धारित समय पर फोन नहीं उठाया. कुछ का फोन नॉटरिचबल या बिजी गया. 16 डॉक्टरों में से सिर्फ 8 डॉक्टर्स ने ही फोन उठाया और जानकारी दी.
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डॉक्टर के नंबर और विभाग
इन डॉक्टरों के पास सुबह 10 से 4 बजे तक फोन किया गया लेकिन एक बार भी फोन नही उठा. जरा सोचिए कि इसी तरह मरीज डॉक्टर को फोन कर-करके थक जाते हैं. लेकिन न कोई सुनने वाला होता है, न ही कोई बताने वाला कि कोरोना से किस तरह खुद को और परिवार को बचा सकते हैं.
- न्यूरोलॉजी, डर्मेटोलॉजी, गैस्ट्रो, मेडिसिन के लिए मोबाइल नंबर 81760 07292 पर पांच बार फोन किया गया, पर नहीं उठा.
- रेडिएशन आंकोलॉजी, मेडिकल आंकोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, सर्जिकल आंकोलॉजी के लिए 8176007291 पर फोन किया गया. नंबर एक बार व्यस्त गया और एक बार कॉल नहीं रिसिव हुआ.
- इमरजेंसी विभाग के नंबर 8176007617 पर दो बार काॅल किया गया लेकिन एक बार भी कॉल नहीं उठा.
- समान के लिए जारी हेल्पलाइन नंबर
0522- 66920000
0522- 66920001
0522- 66920002
इन तीनों नबरों पर कई बार फोन किया गया लेकिन बस बीमारी पूछकर यह कहकर फोन काट दिया गया कि थोड़ी देर में आपको फोन कर सूचित किया जाएगा.
इन नंबरों पर यह मिला जवाब
- कोविड अस्पताल कंट्रोल नंबर, 8176007250 - कंट्रोल नंबर सिर्फ फोन पर स्वागत ही करता रहा. कहा गया कि थोड़ी देर में आपको अवगत कराया जाएगा. लेकिन घंटों बीतने के बाद भी कोई फोन नहीं आया.
इन डॉक्टरों का उठा फोन और व्हाट्सएप पर दिया दवाई का पर्चा
केजीएमयू, कोविड कंट्रोल सेंटर और इमरजेंसी विभाग के किसी भी डॉक्टर ने फोन नहीं उठाया. वहीं, कंट्रोल रूम सिर्फ मरीज का स्वागत करता रहा. लेकिन आईएमए द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर जब फोन किया गया तो कुछ डॉक्टरों ने उठाया और कुछ ने नहीं.
डॉ मनोज गोविला , 9415023444 - मरीज बनकर जब रिपोर्टर ने अपनी बात बताइए तो डॉ. मनोज ने पूरी बात को सुना. दिक्कत के अनुसार उन्होंने व्हाट्सएप पर कुछ दवाइयां लिखकर दीं. साथ ही कहा कि अपना और परिवार समेत सभी का ऑक्सीमीटर के द्वारा ऑक्सीजन चेक कराएं. अगर ऑक्सीजन 85 से नीचे है तो किसी अस्पताल में डॉक्टर से भर्ती के लिए संपर्क करें.
- डॉ. श्वेता श्रीवास्तव, 8953004200 - डॉक्टर श्वेता को जब फोन किया गया तो दो बार उनका फोन व्यस्त गया. एक बार उन्होंने फोन नहीं उठाया. लेकिन चौथी बार उन्होंने फोन उठाया और दिक्कत पूछी. इसके बाद उन्होंने स्वयं बात होने के बाद व्हाट्सएप पर एक पीडीएफ भेजा. इसमें कुछ दवाइयों के नाम लिखे हुए थे.
- डॉ. प्रांशु अग्रवाल, 9455553227 - डॉ. प्रांशु को दो बार फोन किया गया. उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. लेकिन एक घंटे बाद उनका कॉल आया. उन्होंने दिक्कत परेशानी पूछी. उसके आधार पर व्हाट्सएप पर दवाइयों के नाम समेत पीडीएफ भेजा. इसमें माइल्ड और मॉडरेट सिचुएशन के अनुसार दवाएं लिखी हुईं हैं.