लखनऊः बैंक में जमीन के कागजात बंधक रहने के दौरान धोखाधड़ी करके उसी जमीन को बेचने के अभियुक्त तनवीर अहमद सहित नौ आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी अपर सत्र न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने खारिज कर दी है.
अदालत के समक्ष जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष रावत एवं कमल अवस्थी का तर्क था कि इस मामले की रिपोर्ट वादी शिवराज सिंह ने वजीरगंज थाने में दर्ज कराई थी. कहा था कि उसने बरावन कला वार्ड बालकगंज थाना ठाकुरगंज में अपनी पत्नी प्रेमा सिंह के नाम से सैयद हैदर से 18 लाख रुपए में जमीन खरीदी थी. कहा गया है कि जब उसने रजिस्ट्रार ऑफिस से कागजात की जांच कराई थी तो वह सही थे लेकिन बाद में पता चला कि उस जमीन को 55 लोगों की रजिस्ट्री कराई गई है तथा बैंक से उस पर लोन भी पहले से लिया जा चुका है जिसका मुकदमा भी डीआरटी में चल रहा है. वादी ने कहा है कि यह सभी लोग भूमाफिया हैं.
अदालत ने आरोपी तनवीर अहमद, सैयद रईस हैदर, श्रीमती सैयद राणा रिजवी, सैयद अमन हैदर, श्रीमती सबा परवीन, सैयद मेहंदी हसन, अली अब्बास, अशरफ जहीर खान एवं वासिफ हसन की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि मामले में अधिकांश आरोपी हिंद कंकरीट प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के सह निदेशक हैं तथा वह डीआरटी के समक्ष चल रहे मुकदमे में भी पक्षकार हैं. आदेश में कहा गया है कि आरोपियों द्वारा सामान्य व्यक्तियों से उनके जीवन भर की कमाई उन्हें लुभावने प्लाट दिखा कर ले ली गई है. कहा गया है कि मामला गम्भीर है तथा ऐसे प्रकरण को सामान्य प्रकृति व सिविल प्रकृत का नहीं माना जा सकता.
लेखापाल व मनरेगा कर्मी की मदद से लाखों का घोटाला
लखनऊ: सरकार द्वारा वृक्षारोपण और पौधरोपण के लिए भेजे गए सरकारी धन को बिना वृक्षारोपण किये निकाल कर लाखों रुपए हड़पने के आरोपी प्रेम सिंह एवं राकेश कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश लोकेश वरुण ने खारिज कर दी है.
अदालत के समक्ष अपर जिला शासकीय अधिवक्ता एमके सिंह ने तर्क दिया है कि आरोपियो ने विकास खंड ताखा के लेखपाल धर्मेंद्र कुमार वर्मा और मनरेगा के तत्कालीन लेखा सहायक शिवशंकर शर्मा के साथ मिलकर सरकार की तरफ से वृक्षारोपण के लिए आये 11 लाख 53 हजार 242 रुपए बिना वृक्षारोपण कराए निकाल लिए. यह भी कहा कि आरोपी लेखपाल और लेखा सहायक ने आरोपी प्रेम और राकेश कुमार की फर्म ग्रीन वर्ल्ड नर्सरी प्रियंका ट्रेडर्स के साथ सांठगांठ की एवं काल्पनिक दस्तावेज तैयार किए तथा दोनों फर्म के खाते में फर्जी भुगतान कराकर लाखो का गबन किया. कहा गया कि बाद में जिला विकास अधिकारी की 4 नवम्बर 2020 की जांच आख्या के आधार पर मुख्य विकास अधिकारी ने इटावा के ऊसराहार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
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