लखनऊ : पारिवारिक न्यायालय में तलाक होने के कारण बड़े ही अजब गजब के आते हैं. वर्तमान समय में रोजाना 40 से 50 के तलाक के दर्ज हो रहे हैं. ऐसे में ज्यादातर केस में युगल अब सोशल मीडिया का भी सबूत के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोग किस तरह से सबूत के तौर पर कर पा रहे होंगे. हालांकि ऐसा हो रहा है, क्योंकि आज के समय में हर किसी के पास एंड्राइड मोबाइल है और मोबाइल में किसी भी चीज के लिए स्क्रीनशॉट और रिकॉर्डिंग कर ली जाती है. 10 में से 4-5 केस ऐसे आते हैं जो सबूत के तौर पर किसी बातचीत या किसी एक्टिविटीज का स्क्रीनशॉट या वीडियो रिकॉर्डिंग सबूत के तौर पर न्यायालय में पेश करते हैं.
सोशल मीडिया से टूटते रिश्ते. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार का कहना है कि कई बार बनते बनते रिश्ते इन सबूतों के कारण बिगड़ जाते हैं, क्योंकि न्यायालय का काम सिर्फ तलाक देना नहीं, बल्कि काउंसिलिंग करना भी होता है. मौजूदा समय में 10 में से 4-5 केस ऐसे होते हैं, जिसमें लोग स्क्रीनशॉट व स्क्रीन रिकॉर्डिंग एविडेंस के तौर पर हमारे सामने रखते हैं और हम न्यायालय में पेश करते हैं. लेकिन कई बार यह नेगेटिव हो जाता है जहां पर समझौता होने वाला रहता है वहां पर लोग ईगो में आ जाते हैं कि तुमने रिकॉर्डिंग या हमारी आपसे बातचीत की चैटिंग की स्क्रीनशॉट कैसे किसी दूसरे इंसान को दिखाया. इस वजह से न्यायालय में बनते बनते रिश्ते भी बिगड़ जाते हैं.
सोशल मीडिया से टूटते रिश्ते. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि किस वक्त पर उन्हें इस तरह के एविडेंस वकील के सामने सबूत के तौर पर पेश करना है. छोटी सी बात पर अगर तलाक हो रहा है तो वहां पर स्क्रीनशॉट व स्क्रीन रिकॉर्डिंग नहीं सामने लाना चाहिए, क्योंकि सबसे पहले हम काउंसिलिंग करते हैं. काउंसिलिंग के दौरान अगर दोनों पक्षों के बीच में समझौता हो जाता है तो दोनों को राजी-खुशी घर वापस भेज देते हैं. जब एक पक्ष की ओर से चैटिंग के स्क्रीनशॉट व बातचीत की रिकॉर्डिंग पेश करते हैं तो दूसरा पक्ष इस पर भड़क जाता है और यह लाजमी भी है. इस बात की गंभीरता को कई बार लोग नहीं समझते हैं. याचिकाकर्ता प्रेशर में इतने रहते हैं कि केस फाइल करते हैं वकील के सामने एविडेंस के तौर पर तुरंत चैटिंग के स्क्रीनशॉट और रिकॉर्डिंग रख देते हैं.
साइबर एक्ट के तहत यह मान्य : वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत के अनुसार कई बार पति-पत्नी के बीच में जब नहीं बनती है तो उसी समय से वह रिकॉर्डिंग व स्क्रीन शॉट करना शुरू कर देते हैं. बाद में इसे एविडेंस के तौर पर न्यायालय में पेश करते हैं. साइबर एक्ट के तहत यह डिजिटल सबूत न्यायालय में मान्य होते हैं. कई बार इस पर न्यायालय जजमेंट भी देते हैं. इस तरह के बहुत सारे लोग हैं जो साइबर एक्ट के तहत डिजिटल सबूत पेश करते हैं.
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