लखनऊःउत्तर प्रदेश के जेलों में जहां कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं कैदियों के मुकाबले जेलों का आकार भी छोटा पड़ने लगा है. कैदियों की सुरक्षा के लिए तैनात रहने वाले बंदी रक्षकों के खाली पद कारागार विभाग के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं. राजधानी लखनऊ की आदर्श जिला कारागार में भी दिसंबर में एक कैदी सुरक्षा की खामियों का ही फायदा उठाकर फरार हो गया था जो अब तक नहीं पकड़ा जा सका. यह हाल किसी एक जेल का नहीं है बल्कि प्रदेश के सभी जेलों के हैं.
जेलों में बंदी रक्षकों के खाली पद मुसीबत
उत्तर प्रदेश में 72 जेलों में बंदी रक्षकों के पदों की रिक्तियां लगातार बढ़ रही हैं. कारागार विभाग की तरफ से जिलों में खाली पड़े पदों को भरने के लिए पहले भी सरकार से अनुरोध किया जा चुका है. क्योंकि जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मौजूद बंदी रक्षकों की संख्या सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है. उत्तर प्रदेश के जेलों में बंदी रक्षकों के लगभग 60 फीसदी पद खाली पड़े हैं. उत्तर प्रदेश के जेलों से आए दिन कैदियों के फरार होने के मामले भी सामने आते हैं जिसकी एक बड़ी वजह जेलों में खाली पड़े पद हैं. हालांकि सरकार की तरफ से इन दिनों जेल वार्डर की 3600 से ज्यादा पदों पर भर्ती प्रक्रिया संचालित है.
जेलों की क्षमता कम, कैदियों की संख्या अधिक
उत्तर प्रदेश की जिलों की क्षमता कैदियों की बढ़ती संख्या के मुकाबले कम है. बढ़ते अपराध के चलते इन जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या एक बड़ी चिंता का कारण है. इस समय प्रदेश की जेलों में 110000 से ज्यादा कैदी निरुद्ध है. वहीं प्रदेश की अधिकतर जेलों में कैदियों जेलों की क्षमता काफी कम है.