लखनऊ:उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव के दौरान विपक्ष आपस में ही भीड़ गया है. पिछले लोकसभा चुनाव में एक होकर भाजपा को रोकने की कवायद में जुटे बुआ और भतीजे के बीच खटास इस हद तक बढ़ गई कि वें एक दूसरे से बदला लेने पर उतर आए. साइकिल पर सवार होकर बसपा ने शून्य से 10 सीटों तक का सफर तय किया. इसके बाद बसपा ने सपा से नाता तोड़ लिया था, जिसका बदला सपा ने बसपा के सात विधायकों को तोड़कर लिया है.
मायावती ने अखिलेश को दिया था धोखा
प्रदेश की सियासत में सपा और बसपा करीब ढाई दशक से एक दूसरे के धुर विरोधी रहे. 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से विचलित सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बसपा की तरफ हाथ बढ़ाया. भाजपा के विजय रथ को रोकने के नाम पर अखिलेश की तरफ से आए प्रस्ताव को बीएसपी चीफ मायावती ने मौके की नजाकत को भांपते हुए स्वीकार कर लिया. मायावती ने अपने शर्तों पर गठबंधन किया. इस चुनाव में सपा को इसका लाभ नहीं मिला. वह पांच सीटें जीतकर अपनी पुरानी स्थिति बनाए रखने में ही सफल रही. वहीं बसपा शून्य से बढ़कर 10 सीटों पर पहुंच गई. बावजूद इसके बसपा ने ही गठबंधन तोड़ने का एलान कर दिया. बसपा ने गठबंधन ही नहीं तोड़ा बल्कि सपा पर आरोप भी मढ़े. मायावती ने कहा कि सपा का वोट उन्हें ट्रांसफर नहीं होने की वजह से बसपा को कम सीटें मिलीं.