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भतीजे अखिलेश ने बुआ मायावती से लिया "अपमान" का बदला - mla join Samajwadi Party

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव अब और दिलचस्प होता नजर आ रहा है. बसपा प्रत्याशी के दस प्रस्तावकों में से पांच ने अपना नाम वापस ले लिया है. वहीं बसपा के सात विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी है.

अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

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Published : Oct 28, 2020, 8:43 PM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव के दौरान विपक्ष आपस में ही भीड़ गया है. पिछले लोकसभा चुनाव में एक होकर भाजपा को रोकने की कवायद में जुटे बुआ और भतीजे के बीच खटास इस हद तक बढ़ गई कि वें एक दूसरे से बदला लेने पर उतर आए. साइकिल पर सवार होकर बसपा ने शून्य से 10 सीटों तक का सफर तय किया. इसके बाद बसपा ने सपा से नाता तोड़ लिया था, जिसका बदला सपा ने बसपा के सात विधायकों को तोड़कर लिया है.

अखिलेश ने बसपा के खेमे में घुसकर की राजनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक

मायावती ने अखिलेश को दिया था धोखा
प्रदेश की सियासत में सपा और बसपा करीब ढाई दशक से एक दूसरे के धुर विरोधी रहे. 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से विचलित सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बसपा की तरफ हाथ बढ़ाया. भाजपा के विजय रथ को रोकने के नाम पर अखिलेश की तरफ से आए प्रस्ताव को बीएसपी चीफ मायावती ने मौके की नजाकत को भांपते हुए स्वीकार कर लिया. मायावती ने अपने शर्तों पर गठबंधन किया. इस चुनाव में सपा को इसका लाभ नहीं मिला. वह पांच सीटें जीतकर अपनी पुरानी स्थिति बनाए रखने में ही सफल रही. वहीं बसपा शून्य से बढ़कर 10 सीटों पर पहुंच गई. बावजूद इसके बसपा ने ही गठबंधन तोड़ने का एलान कर दिया. बसपा ने गठबंधन ही नहीं तोड़ा बल्कि सपा पर आरोप भी मढ़े. मायावती ने कहा कि सपा का वोट उन्हें ट्रांसफर नहीं होने की वजह से बसपा को कम सीटें मिलीं.

अखिलेश यादव ने सीने में दर्द छिपाए रखा
गठबंधन वाले घटनाक्रम के बाद अखिलेश यादव ने उस वक्त बसपा पर कोई भी आरोप नहीं लगाए. कोई ऐसी टिप्पणी भी नहीं की जो बुआ को परेशान करने वाले हों. हां अखिलेश यादव उस दर्द को छिपाए बैठे थे और मौके की तलाश में थे. अब जब बसपा अपने 18 विधायकों के बलपर राज्यसाभ के लिए नामांकन कराया तो अखिलेश ने बसपा के खेमे में घुसकर राजनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक कर दी.

बसपा अध्यक्ष मायावती

भाजपा ने ली चुटकी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो वाजपेई का कहना है कि "उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज और भारतीय जनता पार्टी के मजबूत नेतृत्व से संपूर्ण विपक्ष में घबराहट है. वह एक-दूसरे दलों में भाग रहे हैं. एक-दूसरे को नीचा दिखाना चाह रहे हैं. विपक्ष के विधायकों का अपनी ही पार्टी से विश्वास उठ गया है. वे 2022 में अपनी सीट बचाना चाहते हैं. वाजपेयी कहते हैं कि यही विपक्ष एक होकर भाजपा से लड़ने के लिए आया था. आज अपना घर बचा पाना मुश्किल हो रहा है. अपने विधायकों की संख्या बल के आधार पर ही प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी के सभी आठ प्रत्याशी राज्यसभा जाएंगे.

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